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स्कंदगुप्त
(अनंतदेवी, प्रपंचबुद्धि और भटार्क का प्रवेश)
भटार्क--शर्व!
शर्व०--जय हो! मै प्रस्तुत हूँ; परंतु मेरी स्त्री इसमें बाधा डालना चाहती है। मैं पहले उसीको पकड़ना चाहता था, परंतु वह भगी।
अनंतदेवी--सौगन्द है! यदि तू विश्वासघात करेगा तो कुत्तों से नुचवा दिया जायगा।
प्रपंच०--शर्व! तुम तो स्त्री नहीं हो।
शर्व०--नहीं, मैं प्रतिश्रुत हूँ। परंतु......
भटार्क--तुम्हारी पद-वृद्धि और पुरस्कार का प्रमाण-पत्र यह प्रस्तुत है। ( दिखाता है ) काम हो जाने पर---
शर्व०--तब शीघ्र चलिये, दुष्टा रामा भीतर पहुँच गई होगी।
[सब जाते हैं]
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