पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/१९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
( १७८ )


आदत स्त्रियों की अधिक मालूम होती है। अब, एक दूसरे गुण में जो स्त्रियाँ पुरुषों से अधिक समझी जाती हैं, वह गुण पदार्थ की वास्तविक स्थिति को झटपट समझ जाना है। संसार में अपना पैर आगे बढ़ाने के लिए क्या यह गुण अत्यन्त आवश्यक नहीं है? कोई प्रसङ्ग प्राप्त होने पर झटपट उसे समझ कर निर्णय कर डालना, संसार में सफलता का पहला आधार है। तत्त्वचिन्ता के काम में इस गुण की विशेष आवश्यकता नहीं पड़ती। जिसे केवल चिन्तन या मन का काम करना पड़ता है, वह यदि अपने अन्तिम निर्णय पर पहुँचने से पहले विचार के लिए समय माँगे-तो यह हो सकता है। यदि प्रमाण देने के लिए वह कुछ ठहरना चाहे तो उसे बहुत समय मिल सकता है; वह समय की डोर से बँधा नहीं होता कि, अमुक समय तक उसे अपनी मीमांसा पूरी कर ही डालनी चाहिए। प्राप्त अवसर को खो दूँगा तो पछताना पड़ेगा, और प्रारम्भ किया हुआ काम फिर पूरा न कर सकूँगा-ऐसी चिन्ता से उसका पाला ही नहीं पड़ता। हाँ, यह अवश्य है कि जितने प्रमाण हाथ लग सके हों, उनके द्वारा उत्तम से उत्तम सिद्धान्त जितना पुष्ट किया जा सकता है, वह उसे कर देगा। जितनी जानकारी या प्रमाण मालूम हो सके हों, उतनी ही से काम चलाऊ उपपत्ति या सिद्धान्त बना लेने से-उस विषय की अधिक खोज करने का काम बहुत कुछ सरल हो जाता है-और बहुत से अवसरों पर तो