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स्वदेश–


उपद्रव हैवानी की हदको भी लाँध गया था और कंगो-प्रदेश में स्वार्थान्ध बेलजियम का बर्ताव पिशाची लीला के पास पहुँच गया है।

दक्षिण-अमेरिका में नीग्रो लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है, इसका विवरण न्यूयार्क से प्रकाशित होनेवाले 'पोस्ट' अखबार- से २ जुलाई (सन् १९०३) के विलायती डेलीन्यूज अखबार में उद्धृत किया गया है। मामूली अपराध के बहाने नीग्रो जाति के नर-नारी पुलीस कोर्ट में हाजिर किये जाते हैं। वहाँ मजिस्ट्रेट उन पर जुर्माना करते हैं। अदालत में पहले ही से उपस्थित रहनेवाले गोरे लोग वह जुर्माना दे देते हैं और फिर उस रुपये के बदले उन नीग्रो स्त्री पुरुषों को अपना गुलाम बना लेते हैं। उसके बाद, फिर तो चाबुक, लोहे की जंजीर और अन्यान्य ऐसे ही अनेक उपायोंसे आज्ञा न मानने और भागनेसे उनकी रखवाली की जाती है। एक नीग्रो स्त्री को तो चाबुक मारते मारते मार ही डाला। एक नीग्रो स्त्री दो पति करने (Bigamy) के अपराध में गिरफ्तार की गई। हाजत में रहन के समय एक बैरिस्टर ने उसकी ओर से पैरवी करना स्वीकार किया। किन्तु मुकद्दमा नहीं चला और यह निरपराध कहकर छोड़ दी गई। बैरिस्टर साहबने तब भी फीस का दावा किया और उसके बदले में उस स्त्री को मेक्री-कैम्पमें १४ महीने काम करने के लिए भेज दिया। वहाँ ९ महीने तक, मकान में ताला बंद करके उसके भीतर उससे काम कराया गया, और जबरदस्ती दूसरे आदमी से उसका ब्याह कराकर कहा गया कि पहले पति से तेरी कभी मुलाकात नहीं होगी। जिसमें वह भाग न जाय, इस लिए उसके पीछे कुत्त लगा दिये गये, उसके मालिक मेक्री ने अपने हाथ से उसके चाबुक मारे और उससे कसम ले ली कि छूटने पर उसे सबसे कहना होगा कि मैं पाँच डालर हर महीने तनख्वाह पाती थी!