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स्वदेश–


बाहरी शत्रुओं के सामने हमारी हार होती है, तथापि हम लोगों ने स्वार्थ और सुभीते के ऊपर धर्म के आदर्श को विजयी बनाने की चेष्टा में जो गौरव पाया है वह कभी व्यर्थ नहीं जायगा––एक दिन उसका भी दिन आवेगा।