पृष्ठ:स्वदेश.pdf/१३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।


––प्रतिभा सचमुच यथा नाम तथा गुणवाली है। मैंने इतनी मधुर और चित्ताकर्षक भाषा इसके पहले किसी पुस्तकमें नहीं पढ़ी।

––सय्यद अमीर अली (मीर)।

––भारतमें जो नया भाव, नयी ज्योति और नई आकांक्षाका आविर्भाव हुआ है, उसकी लहर, उसके प्रकाश और उसके साधनसे यह उपन्यास शराबोर है। अच्छे अच्छे और समयानुकूल विचार इसमें भरे पड़े हैं।

––श्रीव्येंकटेश्वर समाचार।

––ऐसा भावपूर्ण और शिक्षाप्रद उपन्यास शायद ही कभी पहले हमारे सन्मुख आया हो। प्रतिभाका चरित्र भारतीय रमणियोंके लिए आदर्शस्वरूप है। लेखकने मनुष्यके मनोभावोंको पहचाननेमें प्रशंसनीय कौशल दिखलाया है। भाषा इसकी बहुत ललित है।

––अभ्युदय।

––यह ग्रन्थ उपन्यास नहीं है, नीतिका उत्तम ग्रन्थ है, समाजका प्रस्फुटित चित्र है, और उपदेशोंका उत्तम संग्रह है। इस ग्रन्थ से नागरी साहित्यका बड़ा उपकार हुआ है।

––नागरीप्रचारक।

 

फूलोंका गुच्छा।

सुन्दर सुन्दर ११ गल्पोका संग्रह। मू॰॥//)

––इसकी कहानियों मनोरंजक, रोचक, चित्ताकर्षक और शिक्षाप्रद हैं। कई कहानियों में ऐसी मर्मभेदी बातें हैं कि जिन्हें पढ़नेसे मनुष्यको अपना हृदय टटोलने की आकांक्षा उत्पन्न होती है। कहीं कहीं इस गुच्छेमें निर्मल निर्दोष आनन्दकी बड़ी मजेदार खुशबू है।

––श्रीव्येंकटेश्वर समाचार।

––गुच्छेकी कोई कोई गल्प तो बहुत ही चित्ताकर्षक है। और पुष्पगुच्छ तो मुरझा जाते हैं पर इसके मुरझानेका डर नहीं।

––कविधर मैथिलीशरण।

––इस गुच्छको पढ़कर पाठकोंका चित्त प्रसन्न होगा और इसके नैतिक उपदेशोंसे वे लाभ उठायेगे।

––नागरीप्रचारका।

भाषा सरल और शुद्ध हिन्दी है। कहानियों हृदयाकर्षक और निर्दोष हैं। औपन्यासिक साहित्यके प्रेमियोंको इसे अवश्य पढना चाहिए।

––सरस्वती।

––आख्यायिकायें सबकी सब अच्छी और मनोहारिणी हैं।

––मनोरंजन।