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नया वर्ष।

च्छन्न मौनी भारत चौराहे पर मृगचर्म बिछाये बैठा हुआ है। हम जब अपने सारे शौकों को पूरा करके––बेटी बेटों को कोट–कालर–फ्रक पहनाकर–कूच कर जायँगे उस समय भी वह शान्त चित्त से हमारे पोतों की प्रतीक्षा करेगा। उसकी वह प्रतीक्षा व्यर्थ न होगी। वे इस सन्यासी के आगे हाथ जोड़े आकर कहेंगे––"पितामह, हमको मन्त्र दीजिए।"

यह कहेगा––"ॐ इति ब्रह्म।"

यह कहेगा––"भूमैव सुखं नाल्पे सुखमस्ति।"

यह कहेगा––"आनन्दं ब्रह्मणो विद्वान् न बिभेति कदाचन।"