पृष्ठ:स्वाधीनता.djvu/२१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१८८
स्वाधीनता।


इनसे उन लोगों की रवतंत्रता में बाधा आती है जो इन चीजों को मोल लेना चाहते हैं।

इन उदाहरणों में से जहर बेचने के उदाहरणों में एक और बात का "विचार जरूरी है। वह यह कि इस विषय में पुलिस की दस्तन्दाजी की है कौनसी होनी चाहिए? जहर खाने से जो दुर्घटनायें या जुर्म होते हैं उनका प्रतिबन्ध करने के लिए लोगों की स्वतंत्रता का कहां तक छीना जाना मुनासिब होगा। जुर्म हो जाने पर मुजरिम का पता लगा कर उसे सजा दे जैसे गवर्नमेण्ट का बहुत जरूरी काम है वैसे ही जुर्म होने के पहले ही उसे न होने देने की खबरदारी रखना भी है। परन्तु जुर्म हो जाने पर सजा देने के काम की अपेक्षा जुर्म होने के पहले खबरदारी रखने के काम का दुरुपयोक होना अधिक सम्भव है। अर्थात् शासनकर्म की अपेक्षा निवारणकर्म्म लोगों की स्वतंत्रता में अधिक दस्तंदाजी हो सकती है। क्योंकि आत्मस्वातज्य के आधार पर किया गया आदमी का कोई भी काम ऐसा नहीं हैं जिस यह बात न साबित की जा सके कि उससे औरों की किसी न किसी तरह की हानि जरूर हो सकती है। अर्थात् जिस स्वतंत्रता के पाने का सब वहक है वही स्वतंत्रता जुर्म का कारण साबित की जा सकती है। परन्तु, यँहा कोई सरकारी नौकर या और ही कोई आदमी किसी को खुले तौर पर, कोई जुर्म करने की तैयारी में देखे तो उसका यह धर्म्म नहीं कि जुर्म होने तक वह चुपचाप तमाशा देखता रहे। नहीं, उसको चाहिए कि वह उस आदमी को फौरन रोके और उस जुर्म को न होने दे। दूसरों के प्राण लेने के सिवाय और किसी काम के लिए यदि जहर न मोल लिये जाते या न उपयोग में आते तो उनके बनाने और बचन का प्रतिबन्ध मुनासिब होता। परन्तु यह बात नहीं है क्योंकि जहर का उपयोग निर्दोप कामों ही में नहीं किन्तु लाभदायक कामों में भी होता है। अतएव यदि उनका बेचना मना कर दिया जायगा तो बुरे कामों की तरह अच्छे कामों में भी विघ्न आवेगा। अपघात, दुर्घटना या जुम होने देने की खबरदारी रखना भी सरकारी अफसरों का काम है। मान लीजिए कि कोई आदमी नीचे से टूटे हुए एक पुल पर से जाना चाहता है वह उसके पास पहुँँच गया है और उस पर अपना पैर रखना ही चाहता है उस पर पैर रखने और नीचे गिरने में देर नहीं है। इस दृश्य को किसी सरकारी अफसर या और किसी आदमी ने देखा। पर इतना समय नहीं कि वह