हिन्दी-ग्रन्थ-रत्नाकर कार्यालयके ग्रन्थ।
हमारी हिन्दी-ग्रन्थ-रत्नाकर-सीरीज हिन्दीमें सबसे पहली, सबसे अच्छी, और नेत्ररंजिनी ग्रन्थमाला है। इसमें अब तक ४५ ग्रन्थ निकल चुके हैं, जो हिन्दीके नामी नामी लेखकोंके लिखे हुए हैं, जिनकी प्रायः सभी विद्वानोंने प्रशंसा की है और जो दो दो तीन तीन बार छपकर बिक चुके हैं। नाटक, उपन्यास, गत्प, नीति, सदाचार, राजनीति, स्वास्थ्य, इतिहास, जीवनचरित और विज्ञान आदि सभी विषयोंके ग्रन्थ हैं। आगे और भी बढ़िया बढ़िया ग्रन्थ निकालनेका प्रबन्ध हो रहा है। इस मालाका एक सेट आपके घरू पुस्तकालयमें अवश्य होना चाहिए। इससे उसकी शोभा बढ़ जायगी।
इस ग्रन्थमालाके सिवाय हमारे यहाँसे और भी अनेक ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं। इसके सिवाय अन्य स्थानोंकी पुस्तकें भी हम अपने ग्राहकों के सुभीतेके लिए रखते हैं। इसके लिए हमारा बड़ा सूचीपत्र मँगा लीजिए।
नीचे लिखी सूचीमें जिन ग्रन्थोंपर + चिह्न हैं, वे सीरीजकीके सिवाय हमारी प्रकाशित की हुई अन्य उत्तम पुस्तकें हैं:—
बिना चिह्नकी सीरीजकी पुस्तकें हैं।
नाटक। | प्रहसन। | ||
दुर्गादास | १៸៸) | सूमकेघर धूम | ।) |
प्रायश्चित्त | ।) | उपन्यास। | |
मेवाड़-पतन | ।।।៸៸) | प्रतिभा | १।) |
शाहजहाँ | ।।।៸៸) | आँखकी किरकिरी | १।।៸៸) |
उस पार | १៸៸) | शान्ति-कुटीर | ।।।៸៸) |
ताराबाई | १) | अन्नपूर्णाका मन्दिर | १) |
नूरजहाँ | १៸៸) | छत्रसाल | १।।) |
भीष्म | १៸៸) | हृदयकी परख (जिल्ददार) | १៸៸) |
चन्द्रगुप्त | १) | गल्पगुच्छ | |
सीता | ।।៸) | फूलोंका गुच्छा | ।।៸) |
+ भारत-रमणी | ।।।៸៸) | नवनिधि (जिल्ददार) | १៸៸) |
+ सिंहल-विजय | १៸៸) | + कनक-रेखा | ।।।) |
+ पाषाणी | ।।।) | पुष्प-लता | १) |