पृष्ठ:हड़ताल.djvu/११९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
अङ्क २]
[दृश्य १
हड़ताल

मिसेज़ रॉबर्ट

[आवेश के प्रवाह में]

रॉबर्ट कहते हैं कि मज़ूरों का सारा जीवन जन्म से लेकर मरने तक जुआ ही है।

[एनिड प्रभावित होकर आगे झुक जाती है। मिसेज़ राबर्ट का आवेश बढ़ता जाता है यहाँ तक अन्तिम शब्दों में वह अपने ही दुःख से विकल हो जाती है।]

रॉबर्ट कहते हैं कि मज़ूर के घर जब बच्चा पैदा होता है तो उस की साँसें गिनी जाने लगती हैं, भय होता है इस साँस के बाद दूसरी साँस लेगा भी या नहीं। और इसी तरह उस का जीवन कट जाता है। और जब वह बुड्ढा हो जाता है, तो अनाथालय या क़ब्र के सिवा उसके लिए दूसरा ठिकाना नहीं। वह कहते हैं कि जब तक आदमी बहुत चालाक न हो और कौड़ी-कौड़ी पर निगाह न रक्खे और बच्चों का पेट न काटे वह कुछ बचा नहीं सकता। इसी लिए तो वह बच्चों से चिढ़ते हैं। चाहे मेरी इच्छा भी हो।

एनिड

हाँ-हाँ जानती हूँ।

११०