पृष्ठ:हड़ताल.djvu/१३४

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अङ्क २]
[दृश्य १
हड़ताल

रॉबर्ट

[गले पर हाथ रख कर]

जब तक ये भेड़िए यहाँ से चले न जायँगे मुझ से कुछ न खाया जायगा।

[इधर से उधर टहलता है]

मुझे मजूरों से अभी बहुत माथा पच्ची करनी पड़ेगी। किसी में हिम्मत नहीं है। सब कायर हैं। बिलकुल अन्धे। कल की किसी को फिकर ही नहीं।

मिसेज़ रॉबर्ट

यह सब औरतों के कारण हो रहा है, डेविड।

रॉबर्ट

हाँ औरतों को ही वह सब बदनाम करते हैं। जब अपना पेट काँ कूँ करता है, तो औरतों की याद आती है। औरत उन्हें शराब पीने से नहीं रोकती। लेकिन एक शुभ कार्य में जब कुछ तकलीफ़ होती है तो चट औरतों की दुहाई देने लगते हैं।

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