पृष्ठ:हड़ताल.djvu/१५९

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अङ्क २]
[दृश्य २
हड़ताल

तुम अपना लेखा डेवढ़ा समझ लो। जब मेरी ज़रूरत हो घर से बुला लेना।

[वह कूदकर नीचे आता है, लोग रास्ता छोड़ देते हैं, वह उन के बीच से होता हुआ निकल जाता है एक मल्लाह अपने पाइप को हिला हिलाकर उस की ओर मखौल के आप से देख रहा है। मजूरों की टोलियाँ बन जाती हैं और बहुत सी आँखें रॉबर्ट की ओर उठती हैं जो दीवार के सहारे अकेला खड़ा है।]

इवैन्स

यह चाहता है कि तुम थूक कर चाटो। बस यही इसकी मंशा है। वह चाहता है कि तुम हमारी बातों को दुलख दो। थूक कर तो न चाटेंगे चाहे भूखों मर जायँ।

बलजिन

थूक कर चाटने की बात कौन कर रहा है? ज़रा ज़बान सँभाल कर बोलो-समझ गए।

लोहार

[एक युवक, जिस के बाल काले और बाहें लम्बी हैं]

औरतें क्या करेंगी?

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