पृष्ठ:हड़ताल.djvu/१७८

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अङ्क २]
[दृश्य २
हड़ताल


का झगड़ा मिटा दो! तब तुम्हारा शत्रु एक टुकड़ा तुम्हारे सामने फेंक देगा।"

जागो

कभी नहीं।

टॉमस

मैं ने यह नहीं कहा।

रॉबर्ट

[चुभती हुई आवाज़ में]

मित्रवर, तुम ने चाहे यह न कहा हो पर तुम्हारा मतलब यही था। और धर्म के विषय में तुम ने क्या कहा? तुम ने कहा-"धर्म इसे मना करता है"। "प्रकृति भी इसे मना करती है"। अगर धर्म और प्रकृति में इतनी एकता है तो मुझे यह बात आज ही मालूम हुई है। उस युवक ने-

[राउस की ओर इशारा कर के]

कहा है कि मेरी बाणी में नरक की आग भरी हुई है। अगर ऐसा होता तो मैं उस सारी आग को इस घुटना टेकने वाले प्रस्ताव को जलाने और झुलसने में लगा देता। घुटना टेकना कायरों और नमक हरामों का है।

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