पृष्ठ:हड़ताल.djvu/१९५

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अङ्क ३]
[दृश्य १
हड़ताल

एडगार

उन से क्या काम निकलेगा। यह तो डाइरेक्टरों का काम है।

[इकहरे दरवाजे की तरफ़ इशारा कर के जिस पर पर्दा पड़ा हुआ है]

दादा अपने कमरे में हैं?

एनिड

हाँ!

एडगार

मैं चाहता हूँ कि वे वहीं बैठे रहें।

[एनिड आँख उठाती है]

यह बड़ा बेहूदा काम है, बहन।

[उस छोटी संदूक़ची को फिर उठा लेता है, और उसे बार बार घुमाता है]

एनिड

मैं आज तीसरे पहर रॉबर्ट के घर गई थी।

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