पृष्ठ:हड़ताल.djvu/२५१

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अङ्क ३
[दृश्य १
हड़ताल

चबाव और शहनाई भी बजाओ। यह अधकचरी भावुकता, इसे चाहे साम्यवाद कहो कुछ और कोरी गप है। स्वामी स्वामी है, और सेवक सेवक है। तुम उनकी एक बात मानो और वह छः और माँ गेंगे।

[रुखाई से मुसकुराकर]

वे ओलिवर ट्विस्ट की भाँति कभी संतुष्ट नहीं होते। मैं उनकी जगह पर होता तो मैं भी वैसाही करता। लेकिन मैं उनकी जगह पर नहीं हूँ। मेरी बातों को गिरह बाँध लो। अगर तुम उनसे यहाँ दबे, वहाँ दबे, तो एक दिन तुम्हें मालूम होगा कि तुम्हारे पैरों के नीचे जमीन खिसक गई है, और तुम दिबालिएपन के दल-दल में फँस गए हो। और तुम्हारे साथ वह लोभ भी दलदल में डूब रहे होंगे जिनके सामने तुमने घुटने टेके हैं। मुझ पर यह इल्ज़ाम लगाया जाता है कि मैं स्वेच्छाचारी शासक हूँ, जिसे अपनी टेक के सिवा और किसी बात की चिंता नहीं है––लेकिन मैं इस देश का भविष्य सोचता हूँ जिस पर अव्यवस्था की काली बाढ़ का संकट आनेवाला है। जिस पर जन शासन का संकट आनेवाला है, और न जाने कौन कौन से संकट [१]


  1. चार्ल्स डिकेंस के एक उपन्यास का पात्र