पृष्ठ:हड़ताल.djvu/२९

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अङ्क १]
[दृश्य १
हड़ताल

वाइल्डर

पैरों कौन पड़ना चाहता है?

[ऐंथ्वनी उसकी तरफ ताकता है]

मैं सोच समझ कर काम करना चाहता हूँ। जब मज़दूरों ने राबर्ट को दिसम्बर में बोर्ड के पास भेजा था तब अवसर था। हमें उसको मिला लेना चाहिए था; इसके बदले सभापति ने-

[ऐंथ्वनी के सामने आँखें नीची करके]

हमने उसे झिड़क दिया। अगर उस वक्त ज़रा चतुराई से काम लेते तो सब हमारे पंजे में आ जाते।

ऐंथ्वनी

समझौता नहीं हो सकता!

वाइल्डर

यही तो बात है। यह हड़ताल अक्तूबर से अब तक चली आ रही है और जहाँ तक मैं समझता हूँ, शायद छः महीने और चले। तब तक तो हम चौपट ही हो

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