पृष्ठ:हड़ताल.djvu/३७

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अङ्क १]
[दृश्य १
हड़ताल

एडगार

[तेज़ी से]

पिता जी कहते हैं जो कुछ करना चाहिए वह करो और दूसरे झगड़ों में न पड़ो।

वाइल्डर

छी!

स्केंटलबरी

[हाथ ऊपर उठाकर]

सभापति वैरागी है-मैं हमेशा कहता आता हूँ कि सभापति वैरागी हैं।

वाइल्डर

हमारी तो लुटिया ही डूब जायगी।

वैंकलिन

[मधुर स्वर में]

सभापति महोदय, क्या आप सचमुच केवल एक-एक सिद्धान्त के लिए अपने जहाज़ को डुबा दोगे?

२८