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अङ्क१]
[दृश्य१
हड़ताल
एनिड
राबर्ट उसे हम लोगों से कोई चीज़ न लेने देगा।
ऐंथ्वनी
[सामने ताकता हआ]
अगर मज़दूर लोग जान देने पर तुले हैं तो मेरा क्या दोष है?
एनिड
सब के सब कष्ट में हैं, दादा। मेरी ख़ातिर से इसे बन्द कर दो।
ऐंथ्वनी
[उसे तीव्र दृष्टि से देखकर]
बेटी, तुम इस बात को न समझ सकोगी।
एनिड
अगर मैं डाइरेक्टर होती, तो कुछ न कुछ ज़रूर करती।
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