पृष्ठ:हड़ताल.djvu/९६

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अङ्क दूसरा

दृश्य १

साढ़े तीन बजे हैं। रॉबर्ट के झोंपड़े के रसोई घर में धीमी आग जल रही है। कमरा साफ़ और सुथरा। ईंट का फर्श है, सफ़ेद पुती हुई दीवारें हैं, जो धुएँ से काली हो गई हैं। सजावट के सामान बहुत थोड़े हैं। चूल्हे के सामने एक दरवाज़ा है जो अन्दर की तरफ़ खुलता है। दरवाजे के सामने बर्फ से भरी हुई गली है। लकड़ी की मेज़ पर एक प्याला और एक तश्तरी, एक चायदान, छुरी, और रोटी और पनीर की एक रकाबी रक्खी हुई है। चूल्हे के पास एक पुरानी आरामकुर्सी है जिस पर एक चीथड़ा लपेटा हुआ है। उस पर मिसेज़ रॉबर्ट बैठी हुई हैं। वह एक दुबली और काले बालों वाली औरत है, अवस्था ३५ के लगभग होगी। आँखों से दीनता बरसती है। उस के बालों में कंघी नहीं की हुई है, पीछे की तरफ़ एक फीते से बाँध दिए गए हैं। भाग के पास ही मिसेज़ यो हैं। उसके बाल लाल और मुँह चौड़ा है मेज़ के पास मिलेज़ राउस बैठी हैं। वह एक बुड्ढी औरत है, बिल्कुल सफ़ेद, बाल सन हो गए हैं। दरवाज़े के पास

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