पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१०१

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[ ६८ ] दृष्टांत तरंगिणी-दीनदयाल गिरि कृत; नि० कुँवर ब्रजराज के आश्रित । का० स० १८७६; वि० अनेक उपयुक्त पार्ताओं दोणपर्व भापा दे० (ख-६३) पर दृष्टांतयुक्त दोहे । दे० (ड-ss) (ज-७४ ए) | देवदत्त-उप० देव कवि; हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि; दृष्टांत-चोधिका-रामचरन कृत लि० का० स० जन्म का० स० १७३०, जन्म स्थान धौसरिया १६४३, घि० राम-महिमावर्णन । दे० (छ-२११) (इटावा), समनेगाँव ( मैनपुरी) मिवासी; (ज-२४५ के) इनके निर्माण किए लगभग ७० प्रन्थ कहे देव-व्यास जी के शिष्य, स० १६७७ के लगभग जाते हैं, ये फफूंद (इटावा) के राजा मधुकर वर्तमान । साहि के पुत्र राजा कुशलसिंह के आधित थे। देवमाया मपंच नाटक दे० (ड-३५) कृप्या गुण फर्म सूचम सूदन दे० (ङ-९०५) देव कवि-उप० देवदत्त । दे० (ङ-१२०) (घ-२८) रस विलास दे० (ग-७) (ग-१२१) अष्टयाम दे० (ग-१२१) (क-५३)(ङ-१२०) देव कवि-सं० १७६७ के लगभग घर्तमान, अमीर- काव्य रसायन दे० (छ-१५६) (च-२६) खों के आश्रित, पादशाह मुहम्मद शाह के प्रेम तरंग चद्रिका दे० (घ-२८) (ड-१२२) समकालीन और कृपापात्र । भावविलास दे० (ध-४१) (ज-६४ एफ) रागमाला दे० (-२५५) (ङ-१२१) देवकीनंदन-सं० १८४३ के लगभग वर्तमान, कुँवर सुजन विनोद दे० (घ-१०८) सरफराज के आश्रित; मकरंदपुर (फरुनायाद) फुशल विकास दे० ( ङ-३७) निवासी, शिवनाथ कवि के पुत्र; जाति के प्रेम दर्शन दे०(ज-६४ ए) कान्यकुब्ज शुक्र ग्राह्मण थे। प्रेम तरण दे० (ज-६४ दी) सरफराज चद्रिका दे० (ख-५७) जाति विलास दे० (ज-६४ सी) कार चरित्र दे० (ज-६५ ए) सुखसागर तरंग दे० (ज-६४ डी) थवधूत भूषण दे० (ज-६५ वी) सभा रसायन दे० (ज-६४ ई) देवकीनंदनसिंह-महाराज वनारस के भाई थे, देवमरिण--इनके विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं। सं० १८६७ के लगभग वर्तमान, कवि धनी. राजनीति के भाव दे० (छ-१५७) राम, सेवकराम और ठाकुर कषि इनके देवमणि-इनके विषय में कुछ भी शात नहीं। आश्रित थे। दे० (घ-११६) (ज-२८४) (ङ-१८) घर नायिका दे०(ज-६६) देवदत्त-उप० दत्त, जाजमऊ निवासी। दे० (ध-५५) देवमाया अपंच नाटक--देव कवि कृत; वि० (घ-३६) (ज-५६) ज्ञानोपदेश; नाटक ६ अड्कों में समाप्त हुआ है। देवदत्त-उप० दत्त, सं० १८२३ के लगभग वर्तमान; दे० (ङ-३५) जम्बू नरेश महाराज रणजीतसिंह के पुत्र देव-शक्ति पचीसी-अन्य नाम दैवी शक्ति