पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१०३

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[ 60 ] दोहों का संग्रह-सम्मन कृत, वि० शिक्षा सबधी | द्वादश यश-चतुर्भुजदास कृत: लि० का० सं दोहों का संग्रह । दे० (छ-२२८) १६ वि० भक्ति, धर्म, शिक्षादि १२ विषय दौलतखॉ—शेरशाह सूर के पुत्र, सं० १६१७ के का वर्णन । दे० (छ-१४८५) लगभग वर्तमान त्रिलोचन मिश्न उप० तान- द्वारिकादास-इनके विषय में कुछ भी झात नहीं सेन के प्रथम प्राश्रयदाता । दे० (ख-१२) माधव निदान मापा दे० (क-१३६) दौलतनामा-अन्य नाम याजनामा, र० अमात, द्वारिकेश---व्रज निवासी, बालभाचार्य के अनु इस ग्रंथ को कई हकीमों ने फीराजशाह बाद- यायी थे। शाह के हुक्म से बनाया, अनुमानतः नि० का० द्वारिफेश की भावना दे०(छ-१६४) सं० १८५० के लगभग जान पडता है। वि० द्वारिकेश जी की भावना-द्वारिकेश कृत; विर पक्षी-चिकित्सा । दे० (घ-६६) वैष्णवों का जीवन-कर्तव्य । दे० (छ-१६४ ) दौलतराम-ये सेवक जाति के थे, मारवाड़ नि- द्विज कवि-इनके विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं वासी,सं० १८६० के लगभगवर्तमान, मारवाड- ये वनारसवाले मन्नालाल उप० द्विज नहीं हैं। नरेश महाराज मानसिंह के श्राश्रित । श्रीराधा नक्ष शिन दे० (घ-२७) जलंघरनाथ जी रो गुण दे० (ग-३०) द्विज कवि-सं० १८३६ के लगभग वर्तमान; इनके दौलतराव सेंधिया-ग्वालियर नरेश, राज्य का० विषय में कुछ भी बात नहीं, न तो ये बनारस सं० २५३-१८८४ तक; लक्ष्मणराव शिव के मन्नालाल (द्विज कवि) हैं और न अयोध्य कवि के ग्राश्रयदाता । दे० (छ-२३६) के महाराज मानसिंह (द्विज कवि )। (छ-१८७) सभा-प्रकाश दे० (छ-१६५) यानति कवि-ये जैन मतावलंबी थे, इनके धनंतर-इनके विषय में कुछ ज्ञात नहीं । विषय में और कुछ भी शांत नहीं । प्रौषधि विधि दे० (ज-७०) एकीमाष भापा दे० (क-१०१) धनधन-नागरीदास (महाराज सापंतसिंह) द्रोणपर्व भाषा--कुलपति कृत, लि० का० सं० कृत, वि० वृन्दावन की प्रशंसा का वर्णन | दे० १८७२, वि० महाभारत के द्रोणपर्व का भाषा: (छ-१६८ ) नुवाद । दे० (क-७२) धनीराम-सं० १८६७ के लगभग घर्तमान, काशी- द्रोणपर्व भाषा-देवदत्त (दत्त) कृत, नि० का० नरेश के भाई वावू देवकीनंदन के आश्रित । सं०१८२३ लि० का०स० १६२५, वि० महाभारत रामगुणोदय दे० (घ-११६) के द्रोण पर्व का भाषानुवाद । दे० (स्त्र-६३) धनुर्विद्या मूल टीका-विश्वनाथसिंह कृत, लि० द्रोणाचार्य--प्रियादास के शिष्य थे, स० १६१० का० सं० १६११, वि० धनुर्विद्या का वर्णन। के लगभग वर्तमान; जाति के ग्राह्मण त्रिवेदी; दे० (क-४७) रीवॉ नरेश महाराज विश्वनाथसिंह के आश्रित । धनुर्वेद-यशवंतसिंह कृत; वि० धनुर्विधा । दे० पियादास चरितामृत दे० (-१६) (छ-१२०) .