पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१०४

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[ at ] अनुष विषा-नाने पास 1 मि• का० १० | धर्म सुमोदिनी-मारतीदास कृत, मि० का० १७४ सि.ए.वि. अनुप पिचा। ० सा र विक रामाचशमी साप के (-) सिद्धान्तों का पनादे०१३-१६४) पनुन विधामा विश्वनाथसिंह पता यासू नाम शोधन पारण पिपि सटीक- वि० धनुए लाने की विधि और निया का (९० अशाव) वि०पका (र-01) , वर्णम । ३०(ग्र-२०) धीर-म्पामी हरिदास क पिता, वामधीर के परनीयर-इमके पिपए मैं च मी माय महीं। पुत्र हरिदासपुर निवासी स. १६०० के एक पाय (25) वगमग यर्तमान, माति के सलाम मामण । - पर्मपद-पनारस मिथाली, जादि के भावारत ३०(-२७) वैश्यः कषि पदावन के पिता संo केपीर-स.२५ गमग इतमाम राजा पूर्व वर्तमान । ० (क-११७) पीकिशोरभाभित। पर्मदत्त परिप्र-दयासागरपि त निका. पनि पिरा पर दे.(२) सुरु १४५ क्षिक का स० १८६२, यिनीर का समयो-पद परदाई फत, पिक पृथ्वी समदाय क महारमा पर्मदा का परि घन। पण रासो का पर पर मिस पपीराब के साबत पीर के पराक्रम का वर्णन है। पर्मदास-कारखाप्स के शिष्य स० १४५७ (-४६) खामग यसमान। कसौर पंप(4-१५) पीरमराम-सं० 20 से जगमग पवमान, मातिमामा कपाराम पुत्र। पर्मप्रकाश-विजावर मश राजा समापसिंह रिसार केज-3) कृत, नि0काHzo, वि० वर्ष भीरभणी का धर्म पसन २०(4-१५सी) धीरमसिंह-जाति के श्रीवास्तव कापस्ण, पर्मपरीधा-समादर मि० का० स हिम्मतसिंह के पुम, पार (भोडदा) वि०जिनदेव का परिव पना.(क-२२२) माम तिरासी, कपि-धशामली इन्होंने स्वयं इस धर्म मंदिर गणि-०१७के लगमा परे प्रकार दो-नके पूर्वज गोरखपुर निवासी या यहाँ से ससा प्राम में बन पाप, हमके मरता जैनमत के अनुपायी। उनके विषय में + और भीमात मी पूर्वज तोम मा पे-पर्मदास, भानदास और प्रपोप चिताममिति(क-२०) भाषसिंहाइमपुर मंदप, मद के माखम धर्म संपन की फपा-कप्णकविता मिका साहि उनके हिम्मतसिंहए जो कधि के पिता स०१७मिकामा वि०पर्म जो पोरई राज्य मोडला में भाकर पसे। पज और युधिष्ठिर का सवा दे च-) मपित्र दीका दे० (७-३०९) परतूर विवाधिदे० (७-३८ वी)