पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१०८

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वरा में शिचमाघ उपजिन्होंग पावली की निहार (0) हसगड (8) मगसराप (१०) रचना की। इवी माहरि की प्रार्थना पर उमावास (1) देवाविचाराय) (घ-१००) बारशाह गोषप यह कर दिया था। भरिपती मया (घ-1) (ख-१०६) नराचम-बमाम (सीतापुर) निवासी, भाम हरिदास-बारहट माति के पार, रहल का० स०१६॥ सुनाम परिव०(२०१)(फ-५२) गाँव पसना, मेहता (जोधपुर)क नियासी, ओपपुर के मररा गदारान रखिह, गासिंह नरनदास मखखसनेरी से एक साथ गा और जसपतसिंह के माभिता ये१७ यी दास क गुफा इनके विषय में चोर कुछ मी शताम्दो में वर्तमान सास नहीं । ० (-१५२) मसार रिखदेव (ग-3) गोहासागर दे० (-३०४) पणम संप मा0(1-80) नवनिधि-कीर अनुयायी जान पर है। बताए गोवा (-२१०) इस विषय में और कुछ मी हात नहीं। परहिवतार या ३० (-१) सकामोचन १० (-२१२) परिरपा पूर्व राम . (ग-५०) नवरस-उमादास का विमोति-पर्सन। रामचरित बघा काम्मुख गछा सवार २० (ग-४६) नपरस रंग वेनी मीन रुस निकासा , लि का० ०१६ वि०मय रसो .,परिदास-से साधु थे, परसात के शिष्य का वर्णमा(ज-18) और रसिकास के गुरु इमक विषय में कए भी हात नहीं । ० (-२३२) (५-२९८) नवशकपण-याण के पुन जयमक परारिवाल को नाची ३० (८-१०२) मथान गाजीमहीन देवर दीपान १ के कामग बर्तमान, येदी प्रवीम के भाभर नरारिदास (पम्धी)-सुदेवार निवासी , वासरा०(ब-18) इनके विषय में भौर सय मी पात नहीं। माएपाती दे०(५-७) नषलदास-१० १८० के लगभग वर्तमान महायज सायनिह (मागरीदास) कशिप नरहरिदास की पानी-महरिदास कृत वि० धमेशा (सममक) नियासी, माम करपा रापारण सबंधी पद । दे०-३०२) (बारावकी) के मदिर के पुजारी थे। अमरसिंह पटियाला मरण HD HEN समाप्त की बानी दे० (-) मग पत्तमान में इसकी मृत्यु, मागवा रा प मापा (७-२१५) निम्नलिखित कृषि इनक मामित पो- पागवत पुरानभाया मम्मकार (-२५६) (१)बशेखर० (8)ज)पममाय नपलदास की मानी-अपनवास A विक {") ममतराय (1)बंद (१)कबर (0) रापाहणी के पद 120(-)