पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/११५

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नृसिंह पचीसी-मान (खुमान) कृत, विका० नेहमंजरी (लीला)-ध्रुवदास कृत; वि० राधा- स०१४५३, वि० नृसिंह अवतार का वर्णन। कृपण का प्रेम वर्णन। दे० (क-११) (ज-७३पम) दे० (छ-७० आई) नैनायोगिनी-इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं। नृसिंहलीला—देवीसिंह राजा कृत; वि० नृसिंह सावर तत्र दे० (ज-२०६) अवतार की कथा का वर्णन । दे० (छ-२८५) नोने व्यास-सं० १७६८ के लगभग वर्तमान; नेतसिंह-नथनसिंह के पुत्र; जाति के भाट, स० वंधोर के राजा छत्रसाल के नाती दुर्जनसिंह के आश्रित । १० के लगभग वर्तमान । सारगधर संहिसा दे० (क-१३८) (ज-२१५) धनुष विद्या दे० (-२) नेवाज-बुदेलखड निवासी; जाति के ब्राह्मण, नोने शाह-सं० १८५१ के लगभग वर्तमान, जाति ये चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी थे, सं० १९२० के कायस्थ, खुजा ग्राम, परगना ऐरिछ ज़िला के लगभग वर्तमान। झॉसी के रहनेवाले थे 1 प्रखरावती दे० (ज-२१७) वैद्य मनोहर दे० (छ-० ए) नेवाज-(निवाज) सं० १७३७ के लगभगवर्तमान, मरि प्रभाकार दे० (छ-० यी) औरंगज़ेब के पुत्र आज़मशाह के प्राधिन । संजोवन सार दे० (छ-० सी) शकुतला नाटक दे० (घ-७५) नौरता की कथा-पंचमसिंह कृत; नि० का० नेहतरंग-चंद्रदास कृत; लि० का० सं० १८२३, १७६; वि. किसी राजा गदाधर के लिए नव. वि० नायिका भेद वर्णन | दे० (ज-३८५) रात्रि के व्रत की कथा का वर्णन । दे०(छ-६) नेहनिदान-नवीन कृत, लि० का० सं० १६०७, | पंचक दहाई-जीवन मस्ताने कृत, -वि० प्रात्म- वि० स्नेह के रूप का वर्णन । दे० (च-३६) शान और उपदेश । दे० (व-३३ ) नेहनिधि-मुंदरि कुँवरि (स्त्री) कृत, नि० का० पंचदशी भाषा-अन्य नाम नाटक दीप; अने- सं०१:१७, वि० राधाकृष्ण का विहार वर्णन । मानंद कृत; नि० का० सं० १८३७ वि० वेदांत, दे० (स्न-६७) दे० (ख-४६) नेह प्रकाशिका--चरनदास कृत, नि० का० सं० | पंचमसिंह-सं. १७६२ के 'लगभग वर्तमान, १७४६, वि० जानकी जी के प्रेम, विहार और महाराज छत्रसात के भतीजे; पक्षानरेश हृदय सखी-समाज के रहस्यों का वर्णन । दे० साहि के समकालीन, प्राणनाथ के शिष्य थे। (क-३५) कवित्त दे० (छ--५) नेह प्रकाशिका-जनक लाडिली शरण कृत, नि० पंचमसिंह-सं० १७६६ के लगभग वर्तमान, का० सं०१६०४, लि० का० सं० १४२५, वि० श्रोडछा निवासी; जाति के कायस्थ, ओड़छा- श्रीराम सिया का प्रेम और रहस्य वर्णन। देव नरेश पृथ्वीसिंह के आश्रित । (ज-१३३) नौरता की कथा दे० (छ-६)