पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/११७

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[ 8 ] ईश्वर पचीसी दे० (ख-८५) सं० १८६७, लि० का० सं०१-४८; वि० राम जगत विनोद दे० (ग-६) (छ-८२ ए) चंद्र जी का वर्णन पदो में। (इसमें सात भन्पगिरि हिम्मत बहादुर की विरुदावली कांड हैं। ) दे० (म्र-१४) दे० (च-४२) पदावली-दयाकृष्ण कृत, वि० बलदेव जी की राजनीति दे० (च-४३) स्तुति । दे०(छ-२६ यी) पनामरण दे० (च-४४) (छ-२ घी) पदावली-प्राणनाथ और इंद्रामती कृत; वि. जमुना जहरी दे० (छ-८२ सी) स्फुट कवितायों का संग्रह । दे० (ज-२२५) विरुदावली दे० (छ-२ डी) पदावती-रामसखे कृत, लि० का० सं० १९३६ प्रचीध पंचाशिका दे० (ज-२२० ए) घि० ईश्वर के प्रति प्रेम और गुण कीर्तन का गंगालहरी ६० (ज-२२० वी) ' वर्णन । दे० (ज-२५७ बी) पदमावती-मलिक मुहम्मद जायसी कृत; नि० पदावली-व्यास जी कृत; लि० का० स० १९१६; का० सं० १५६७ (सन् १४७ हिजरी), लि० का० घि० कृष्ण भक्ति और कृष्ण लीला वर्णन । दे० तीन प्रतियों का स० १७५६, १८४२ और १८७६ (ज-३३२ यी) अलग अलग है, वि० चित्तौर के राजा रतसेन पदावली रामायण-गोस्वामी तुलसीदास कृतः और सिंघल छीप के राजा की पुत्री पद्मावती लि० का० स० १६१४ वि० रामचंद्र जी की की कथा तथा अलाउद्दीन खिलजी के उसको कथा का पदों में वर्णन । ० (ज-३२३ जी) प्राप्त करने का यत करने आदि का वर्णन । | पद्माभरण---कवि पद्माकर भट्ट कृत, नि० का० दे० (क-५४) (ख-२४) (ख-२५) (ख-५३) सं० १८७७, लि. फा०सं० १९५६, वि० मल- (घ-१५०) (ड-१३१) कार । दे० (च-४४) (छ-२ यी) पदमावनी समया-चद घरदाई कृत, चि० सम्राट् ! परतीत परीक्षा-बालकृष्ण नायक कृत; वि० श्री- पृथ्वीराज का पद्मावती से विवाह होने का कृपय का स्त्री वेश में राधिका से मिलने जाना। वर्णन । दे० (छ-१४६ डी) दे० (छ-६डी) पद राग मालावती-लघुजन (महाराज विक्रमा- परतीत परीक्षा-रामकृष्ण कृत, वि० श्रीकृष्ण जीत) कृत, वि० ईश्वर-भक्ति के भजन, मुकुद द्वारा राधिका के प्रेम की परीक्षा करने का ग्रह्मवारी के संस्कृत ग्रंथ का अनुवाद । दे० वर्णन । दे० (ज-२४८) (छ-६७ सी) परब्रह्म की वारहमासी-सेवादास कृत, वि पद-संग्रह-सूरदास कृत; नि० का० सं० १६६७, आत्मिक सिद्धांत वर्णन । दे० (छ-३२७ ए) वि० पदों का संग्रह । दे० (छ-२४४ यी) परम तख प्रकाश-विश्वनाथसिंह देव कृत; वि. (ग-२६२) भगवत-भक्ति का वर्णन । दे० (क-४८) पदावली-काष्ठजिला स्वामी (देह) कृत, नि० का० परम धर्म निर्णय प्रथम खंड-विश्वनाथसिंह .