पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/११९

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पुत्र और मयलारन के पौत्र, नारापनि के प्रपौत्र गम्य का 011-2300,कपि राघवदास थे, प्रागरा नियाग्नी । द० (फ-७२) के शाश्रयदाता । दे० (--) (-3) परशुराम कया-जयसिंह ज देव जान, लि० का०पहार सैयदये जाति के मुसलमान थे। उनके सं०१८-६ वि० परशुराम अवतार की कथा विषय में और कुछ मी खान नहीं। का घर्णन । दे० (क-१४३) येय मनोहर दे० (४-२०५५) परिपूरनदास-ये कयीर पथ के अनुयायी थे, सम्माका दे० (-३०५ वी) (-२७३)) इनके विषय में और कुछ भी सात नी । PART दे० (ए-३०५सी) तिजा (टीका) दे० ( अ-२२३ ) पाखंड वहिनी-महाराज विश्वासिंद रुत: परीक्षित गजा-दनिया नरेश राज्य का० सं० वि० फीरदास के ग्रंथ पर टीका । २० १८०१-०२६, शिवप्रसाद राय, जानकीदास, (द-२४६ सी) गणेश फवि, बेतमिंद और सीताराम के पातंजलि टीका-मथुगनाथ यक रन, मि० का० आश्रयदाता । दे० (७-३२) (छ-५३) (-६०) नं०१८४६; चि० योग का वर्णन | दं. (yo) (ज-18yt) पर्वतदासये जाति के सुनार घे, सं० १७२१ के पातंजनि भाग-मधुगनाथ शृङ्ग : नि० का० लगभग वर्तमान, प्रोडछा निवासी; राजा सं०४६नियोग यरर्णय 20 (ज-४५ डी) सुजानसिंद के समकालीन और श्वर-भक्त थे। पार्वती मंगल-गोम्वामी तुलसीदास कृत; नि० दगावतार कथा दे०(छ-७८) का० सं० १ वि० महादेव पार्वती के राम रहस्य कलेगा दे० (२-७ यी) विवाद का यर्गन । दे० (घ-१२७) पलटू साहब-ये कबीर पंथ के अनुयायी थे, पावस पचीसी-महाराज सावंतसिंह ( नागरी. अन्त समय में अयोध्या में रहते थे। दास ) कृत; वि० श्रीकृष्ण का पारस अतु दतिया दे०(छ-२२२) विदा धान । दे० (ख-२२६ दम) पवन विजय स्वरोदय-मोहनदास कृत, नि० | पिंगल ( ग्रंथ )-अलि रसिकगोविंद कृन: थि० का० सं० १६२२, लि० का० सं० १८६५; वि० पिंगल ! (ह-१२२६) योग, प्राणायाम विधि । दे०(छ-18 ए.) पिंगल-चिंतामणि त्रिपाठी कृत; लि० का० सं० पहलवानदास-दूसनदास के शिष्य; भीगीपुर १६५६, वि० पिंगल । दे० (ध-३६) (छ-२५१) ( राय यरेली ) निवासी, तिलाई (रायबरेली) पिंगल-मुरदेव मिश्र कृत; नि० का० सं०१७५७, के जागीरदार राजा शंकरसिंह के आथित; सं० वि० काव्य करने की रीति का वर्णन । १८६५ के लगमग वर्तमान । दे० (घ-१२३) सपाख्यान चिफ दे० (ज-२२१) पिंगल---चढ़ कृत; खि० का० स०१६: चि० पहाइसिंह-सुजानसिंह के पिता; ओड़छा नरेश, पिंगल । दे० (च-२०)