पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१२५

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माणनाप-सपारा निवासी जान पर है। frunीमीद० (-३१.९) सं.१५०लगमग वर्तमान । कार. (1-२३१ वी) जीवनापीकपा दे०(ज-२२६) inherin (x-२३१मी) प्राणनाथ (त्रिवेदी )-मं० १७६५ के सगमण fmfit foris (7-52) 21) वर्तमाना जाति के कान्यकुण्ड प्राप माग fuk० (-१) कति परिषदे० (-08) मियादाम-मिर नामालाम शिधा मान पाणनाथ भौर इंद्रमती-पं० १७०७ के लगमग दामपिता मं०१३लगभग पनमान वर्तमान पहा नरेश महाराज प्रमाल के पर नियामी म आतिशाम गुर। गुरुन्दी के भारिमकान में हार की जान द० (-६४) का पत्रा में प्रादुर्भाय इमा, इनकी श्रीका मत्ता गिरी २० (-1) नाम इंद्रमती था मोनकी पपिता में योग देतीची। ० "प्राएना" (ज---२२५) मियादाम मरिनामनामा त्रियी शता । प्राणमुख-परमेश्वरीनाम के पिता मं० १७t पिOTORO1810:froप्रिपादाम, जीवन के पूर्व वर्तमान । ३० (प-४५) कावनई (त-१६) प्राणमुख-(र० भनात) किमी मुसलमान कपि, मियादाम जी की पानी-प्रिपादाम fre कृत, मि० का०सं० १७११५(सन १०६५ जिग) का०म० २६४०, दिदिनदरिए प्रीती वि० वैधक 1३० (-३) पाना । (-१) भातरस मंजरी-महाराज माघनमिह (नागरी. मियाभक्तिः रमयोपनी गपागल-रसिक दास) शत; यि० रण लीला घर्गना है। सुर स्न, नि.म. विरा. (ब-१२१ पक) परित गन। ० (-२) प्रियाजी की वाई-जीपनाम एन, लि मियामरनी- जानकीबार अयोध्या के का० सं० १६३०, वि० राधाजी का जामोत्मय. मदंत रामानुज मप्रदाय के सभी समाज घर्णन । दे० (-३४) अनुगायो। मियादास-उप० रुमावत; जाति के महाराष्ट्र स एम मन दे० (ज-२३२) माह्मण, रीमाँ नरेश महाराज विनामिह मियासखी-शयन निघासी; गधावामी संप्र. भौर द्रोणाचार्य के गुरु सं० १६०५ के लगभग दाय के सत्री समाज के अनुयायी। वर्तमान । २०(ब-18) मिपाससाकीबानी २० (१-२०७२) मिपादास-राधावल्लभी साधु, म्यामी हित हरि पियारी की गारी २० (-२०७बी) वंश के भनुयापी, सं० १०५ के लगभग मियामखी (स्त्री)- --340 रन कुंवरि । दे० वर्तमान उन्होंने कांग्रंथ लिसे। "बनतकुंपरि" (-3) -