पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१२७

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प्रेमरन-फाजिलशाह कृत, नि० का० सं० १६०५, | प्रेमसागर-लल्लूलाल कृन; नि० का० सं० १८६७, लि० का० सं० १६३७, वि० नूरशाह और माहे लि. का० सं० १६०४, वि० भागवत दशम मुनीर का किस्सा | दे० (च-५६) स्कंध का भापानुवाद । दे० (छ-२४२५) प्रेमरत्न-रतन कुंवरि कृत, नि० का० सं १८४४, प्रेम सुमन माला-शभूनाथ त्रिपाठी कृत; वि० वि० राधा और कृष्ण के कुरुक्षेत्र में मिलने की प्रेम के दोहे । दे० (ज-२७४) कथा। दे० (ज-२६७) प्रेमावती-ध्रुवदास कृत; नि० का० सं० १६७१:/- प्रेमरत्नाकर-देवीदास कृत, नि० का० स० १७५२, वि० राधाकृष्ण का प्रेम-वर्णन। दे० (क-१३ लि० का० सं० १०१, दूसरी प्रति फा० लि. तेरह ) (ज-७३ ची) का० सं० १८२६, वि. प्रेम वर्णन | दे० प्रेमी-उप० अब्दुहरहमान मिर्जा सं० १७७५ (छ-२२०) के लगभग घर्तमान. यादशाह फर्रुखसियर के श्राश्रित । प्रेमलता-ध्रुवदास कृत;वि०राधा और कृष्ण के प्रेम नखशिख दे० (घ-५०) का वर्णन । दे० (क-१३ यारह) (ज-७३ एफ) फतेहचंद-भागचंद पंचौली के पुत्र, सं १७२५ के प्रेमलीला--जनदयाल कृत, लि० का० स० १८८७, लगभग वर्तमान, जाति के कायस्थ, कवि वि० कौशल्या का सीता और राम पर प्रेम- पोत्तम के आश्रयदाता थे । दे० (घ-४८)

वर्णन । दे० (छ-२६८)

प्रेम संपुट-सुंदरि कुँवरि कृत, नि० का० सं० / फतेह-प्रकाश-रतन कवि कृत; लि० का० स० १६१०. वि० अलंकार वर्णन । दे० ( ज-२६६) १८४५, वि० राधा और कृष्ण के नित्य विहार फतेहमल सिंगी-मारवाड़ नरेश घस्तसिंह के का वर्णन । दे० (स्त्र-84) दीवान ज्ञानमल सिंगी के पुत्र, कवि जयकृष्ण प्रेमसखी-ये रामानुज सप्रदाय के सखी समाज के श्राश्रयदाता । दे० (ग--8) के वैष्णव थे; सं० १७६९ में उत्पन्न हुए; | फतेहसिंह-टिकारी (गया) के नरेश के उत्तरा- अयोध्या निवासी। धिकारी, सं० १८०४ के लगभग वर्तमान प्रेमसम्री की कविता दे० (क-३६) कवि दत्त के आश्रयदाता थे। दे० (घ-३६) होरी दे० (छ-३०८) फतेहसिंह-पन्ना नरेश महाराज छत्रसाल के नमशिस्त्र दे०(ज-२३० ए) वंशज, सं० १०० के लगभग वर्तमान; रतन जानकी-राम को नखशिख दे० (ज-२३० घी) कषि के आश्रयदाता थे। दे० (ज-२६६) भेमसखी की कविता-प्रेमसखी फतेहसिंह -कोच ( जालौन ) निवासी, सई सीताराम की लीला का वर्णन । दे० (क-३६) १८१३ के लगभग वर्तमान पन्नानरेश महाराज पेमसागर--प्रेमदास कृत, नि० का० स० १८२७, सभासिंह के आभित; इन्होंने अपने ग्रन्थ लि० का० स० १६८, वि० ऊधो और गोपियों मुहर्रम में जहाँदार शाह के पुत्र खुर्रम का वर्णन का संवाद वर्णन । दे० (छ-६३५) किया है। कृत; वि०