पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१२८

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रस्तामामा (-५४) पीगेजशार मुगड वारणा बहाएर शाह परम देव (५५) शिवीय के पुष, स० १६०० के लगमग वर्तमान मा० (८-३१५) (-) मानामा (रोमनामा) रचपिता के गुग पर दे० (111) भाभयदाता च० (4-६६) फरजद खेशा मारहाण (ग्रहापारी) रता फुटकर कविता-यारुप्य कम वि० स्फुर - का० स० १८२९, पि. राम और कृप्या की कबितामोका समा। २०(ए-२५५) बाल-सीतामों का पर्सम । ३० (२४) फुटकर कवित–सप्रहका मात, नित फरासीसी (हकीम)-नक विषय में प मी तिमिठ कवियों को फपिता मौसमह है (1) बात नहीं मकरण (२) माय (३) पर्वत (४) अधिरामदे.(ए-६६) यिारी (4) महाराज (१)ग और फससिपर-दिमी पे बादशाह राम्य-कास (ज) देव । ०(ग-4) स० १०६० १७६९: मिजा अनुसरहमान (मी) फुटकर मानी-हिन इरिव , वि० मिति भाभपाता 1 10 (-५०) पौरत के पद । दे०(-१२०) फाग घरंगिनी-इसराज परशी करा निका क्षपरिष-मनोहरवास करत रस प्रध में । 8०११०२१ वि० सपा और कृष्ण के फाप दोहे है। प्रत्यक दोहे में एक एक फूल का खेडनेका पनि । ३० (-सी) . वर्णन है।२०(अ-१६२) फागपिखास—महाराज सापतसिंह (मागरी फूखविलास-महाराज सावसिंह ( नागरी दास) कविण फागहीक्षा बसमा वास), पिप्पपीहा वन । (0-१२१माठ) (प्र-१२१ बार) फाजिल भली (मिर्मा)-पाप लापता के पका-बुंदेशा निवासी के विषय में और पुरस०१७३३ के लागण धमान मुख्य मिश्र चे भाभयाता कुष्ठमी हात नही1 । (-३०) फानिलमसी महाश-पुण्य मिश्र का निक सप्या विचार ये० (-१०) का०स०१७॥सि कासं० वि० अंगससा 1-सालषा के सूबेदाप स०१७४० के पिंगल पम । ३० (-1) लगभग पर्तमान विविध कृषि के माममनाता । दे० (4-३२) नमामिलणार-याह करीम पुत्र, करम करीम के पौत्र पापुर (स ) मिवाप्ती -स०१७के बगमग वर्तमान, जाति इम महारपया और प्रतापरणको माई पे, कायस्वालालमणि के पुत्र व धर्मावलम्बी फारपुर नरश महाराज प्रतापसिंह भाभित मोड़वागमहापट उपोसिह मामिठ । स०११पके कगभग पहेमानचे साच पोरा() पर दे०(व-4) देसीपर-कवि पिया दे०१-१५) 1