पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१३१

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[] पण विचार दे० (ज-१६) बलिवामन की कया--लालाढाल कुन वि० वलभद्र कृत सिखनख-(नखशिख) बलभद्र कृत, राजा बलि और वामन अवतार को कथा नि० का० सं० १६४१, वि० नखशिख वर्णन। का वर्णन 1 दे० (छ-१६१) दे० (ग-४५) (ज-१५) (क-२) यहादुरगज-उप० बहादुरसिह, कृपणगढ़ वलभद्र कृत नखशिख (टीका )--प्रतापसाहि (राजपूताना) नरेश, कुंवर घिरदसिंह के पिता, कृत; लि. का० सं० १४२५, वि० बलमद्रकृत सं० १८३५ के लगभग वर्तमान। दे० (ड-16) नखशिन पर टीका । दे० (छ-४१ के) (ख-०३) वलभद्र पचीसी-दामोदर देव कृत, नि० का० वहादुरशाह-वादशाह औरंगजेब के पुत्र; राज्य सं० १९२३, लि० का० सं० वही, वि० वलराम का० सं० १७६४-१७६६ श्रालम कवि के जी की स्तुति । दे० (छ-२४ ई) श्राश्रयदाता थे। दे० (घ-१३) चलभद्र व्याकरण-गोपाल कवि कृन, वि० व्या- | वहादुरसिंह-रूपनगर (कृष्णगढ़ ) नरेश सं० करण। दे० (छ-४०) १०२३ के लगभग वर्तमान, महाराज रामसिंह वलभद्र शतक–दामोदर देव कृत, वि० स्तुति । के पुत्र और सुंदरि कुँवरि के भाई थे. इन्हीं के दे० (छ-२४ धी) द्वारा दुःख दिए जाने पर महाराज सात- बलभद्रसिंह–नागौद (मध्य भारत) नरेश; सं० सिंह ( नागरीदास ) अपने लडके को राज्य १८७८ के लगभग वर्तमान । देकर वृन्दावन चले श्राए थे जिसको यहादुर- बारहमासी दे० (क-५०) सिंह ने गद्दी से उतार दिया। दे० (ख-९०३) वलिचरित्र-केशव कपि कृत; वि० राजा बलि (ड-५८) और वामन अवतार की कथा का वर्णन । दे० | वहादुरसिंह (राजा)-बढनसिंह महाराज के पुत्र, (ज-१४६५) भरतपुर नरेश, सोमनाथ कवि के श्राश्रयदाता, X वलिराम-कवि नंदराम के पिता; अंबावती सं० १८०६ के लगभग वर्तमान । दे० (ड-४७) नगरी निवासी; जाति के खंडेलवाल, हैरावत (ज-२६८) गांव के थे; सं० १७४४ के पूर्व वर्तमान । दे० वाग विलास-शिव कवि कृत, वि० वाटिका (क-१२६) लगाने की विधि का वर्णन । दे० (छ-२३६) वलिराम-सं० १७३३ के लगभग वर्तमान इनके | वागीराम-गाइराम के भाई, जलंधरनाथ के विषय में और कुछ ज्ञात नहीं। शिष्य; सं० १८८२के लगभग वर्तमान, मारवाड़ रस विवेक दे० (उ-२५) निवासी; जोधपुर नरेश महाराज मानसिंह के बलिराम--सं०१६७६ के लगभग वर्तमान; इनके प्राश्रित, दोनों भाई साथसाथ कविता करते थे। विषय में कुछ और भी ज्ञात नहीं। जसभूषण दे० (ग-३२) मूलनो इलिराम का दे० (ज-१७) (ध-१२८) जसरपक दे० (ग-३३)