पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१३४

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वारसाल-१० ११५ के लगभग पसभामा पीना वरिया सारगरिया साहव छठा बुरक्षभिवाधी। विनामोपदेश (-५ो) पसिौर परित दे० (प-१२) धीर-स. १८१लगमग पर्वमाताति के विवारीलामी के प्रसिद्ध कषि साठि के पाजपेयी काम्पकुलप्राणा माला (अरस मापुर सी बालियर सम्परे निवासी पुर) निवासी। १० १७३० लगभग बर्तमान, सयपुर मरे पदापिस (१-१४०) 1 अपसिंह मिझो के पाभित; कप कवि (r बीरकिशोर (रामा) १८५७ के पास) के गुरु थे। वे० (-२) मा वर्तमामा बादशाह का साक्षम के सम विदा सतीदे०(क-२१५) (-२७) कालीम और पीर कवि के भाभयदावा थे। (स-34 ) (48) (-६३) दे० (छ-२८) (7)(x-7)(7-4) पीरसिंह देव-रोया नरेशपल-पथी सी बिहारी बाम-स. १६३२ के लममग वमान, कधीरा के समकालीमा०(८-१७ भार) मर निवासी भागषत रसिक के अनुयायी। धीरसिंह देर-मोरया (शेयर) मण भगा कि दो मासा दे०(५-२६ यम्प का १. १६६२-१४ यवदास विवारी सवसई-विहारीलाल कता . काक के माभयदातर । ३० (-५ ए) स० १०१ दूसरी मति का १० ५७५ौर मीरसिंह देव-परिभ-केरावदास TE पर मि तीसरी का खि० का० स० १०३ पिक का०स० १३६४ मि.वीरसिंह देव कर परित्र गंगार रस पर मौलिक दोहे। देव (क-११५) (R) (1-5) गिरी सनी (टीका)-फपदास कल, नि० बीस गरोहों का वार--नाय , पिक कास०१498,लिका० स०१०वि०बिहारी मुससमानी मार्मिक पुस्तकों से शिक्षामन सवसर पर टीधादे०(-२) (-१२४) कहानियों। (-20 सी) बिहारी सतसई (टीका) मानसिंह का मिला पीसलदेव ( रामा)-प्रमेर मरेण पृथ्वीराज का सं० १२५ वि. बिहारी सई पर चौहान के पूर्व पजा मोर के दामाद । का २०(-4) (-80) विहारी सतसा (टीका)-रापाप्ण चौबे वीसलदेव राम-रपति माह कत, किo So स्त, विका० स० १५० दूसरी प्रति का स०५३५५ हि का०सं०१४४, पिराबा लिकासपिबिहारीलाई पर बीसलदेव का परित वर्णन । २० (क) टीकारावे(-1) पुंदेल अशामधी-गाइम् । नि० का स. बीमा-कबीरदास की पि०काम | 2017 PEEE पिपुरेलपर के राजामौ की पथा षकी। ३० (१७वी)