पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१४०

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बौदा) भजन रसिया-भुषास त tre पोहण शिष्या रामानुज समादाय क वैष्णुपये। की पसभापईन । दे० (ब-७३ ) (-12 भरत-उप. भारत शाह दीवान साबसिरके मान रिलास--समीनाय रुत, मि० का० स० पौर विज़ना (वेलपर) के जागीरवाण रम्य विजरलपरणाथ के भजन । दे० स०१७१०केशगमग वतमान थे। समान निवासी (ब-२५) (- मजन सप्रा-रामार तालिका १० २५बी) २९३, पि० परमेश्वर सबिमय और मामा) मा अमिरीया (-१४५). दे० (ज-२५१ बी) मरत की यात्रामासी-खासदाप्त कतवि०१२ मनन स (लीला)-अववास करा लि का महीमों में भरत भार राम की जीवनी का H०१जपूसरी महिका fro का स० बसेन । २०(५-१६०ी) REVE पि. सधारण के मन का माहाम्प भरतरी पैराग-इरिवास निकास० दे० (-) (-२५ एफ) (ज-भार) मया लि.का० १० १६ वि०मेन. (ग-१२७) नरेश महरि पम्प पारण करने की समनारची–त्रिलोकदास कत, वियर की कपा का वर्णन (०(ब-१३५) ५ बिगए और स्तुती । ३० (ज-३२०) भरवती सार (परिसार)-मन रुन, निक महषि-पे ज्योतिष और पिणन के परिठ का०स०१.० लि काम १५८, दि. पोसके विपप में और कुछ मी बात नहीं। महरि पका के मीति-शठक का अनुवाद । भाति पुरास (भा २०(क-2) मइति पुराण-भइदिकवि कालिका भरप (राना) परिष-गोपाल कषि कता वि १६ वि० ज्योतिष के शुटकुले और शक्ल रामा समरथ का परिम-वन दे० (क-२८) बर्णमा २०(क-र) मगामीवास-जाति के पुष्करण माक्षण, मय मलामी-स. १७१८ बाम यमान, कृष्ण के पिता स.१७७0 के पूर्व पर्वमान, मात्मानुशासनमून ससत प्रप के रचयिता ०१-०)(ब-१३) भवानीवास--रामसहाय के पिता, माति के बार पचीसी-पदास ,मिका स.. कायमा काशी-निवासी थे।३०(-२२) १८0 वि सम्पाति महकार में बमोपण। मवानीशकर-कामण पाठक के पुर, मदेनी ३०(ग-1) (बनारस) नियासी मालगभग मपानकापरा-भगवायाप्त + वर्चमाये। के पूर्व बर्टमान पे दामोरपास के बैताल पचीती दे०(ब-१३) गुज) से