पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१४९

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मनचित-बौदा नियासी: जाति के धामणः मं० मेयक म०१८४३ मा वर्तमान १७.५के लगभग वर्तमान । भाटिका (घ-१७) दाननीता दे०(छ-७१) मनीराम-नके विषय में कुल भी शान नही। मनजू-इनके विषय में कुछ भी शात नहीं । भारमात्र दे० (१-२६०) हनुनाटक दे० (च--२६२) मनोत्सव-अन्य नाम यमनासय या नमुना मन पतीसी और गुरु महिमा--जगन्नाणदास शतः प्रध; नयनमन्त्र या नि० का मं०१६E: नि.का० सं० १७६८ लि० फा० सं० १३५, यिक पाक ६० (क-२४) यि० गुरु प्रशंसा और मनुप्य स्पमाघ वर्णन। मनोहर-मं० १ लगभग वर्तमान; इन दे०(८-२६६) के विषय में पीर तुद भी बात नही। मनबोध-सं० १८४१ के लगभग यर्नमान। जानि राधारमन E AND (ज-२६१) के मालघीय प्रामण, इदापुर (मिजांपुर) मनोहर ग्वाटेलवाल-० १७७५ के लगमग निवासी; रामदयाल के पुष पनमाना जैनमताधर्मवी, मोगानेर नियामी थे। बम मगन ६० (ज-16) धर्मपीका मे० (क-२) मनराखनदास-जाति के कायाप, परनारायण मनोहग्दाम-मं० १५७के लगभग यतमान; दास के पुत्र पाँदा नियासी, मं०१६ ये मेधक शाति के पागणे और जोधपुर लगभग घर्तमान। नरेश महाराज मानसिंह के माभिन यदनको दोनिधि पिंगत दे० (ज-१७) गुग आयुम लादननाथ ने एक माम मपया मनविनोदलीला-धुयदास एतः यि० राधा का और एकहानी इनाम में दिया था तथा एक कृष्ण से मान करने का वर्णन | दे० (-) गांव महाराज दीभोर में भी मिला था। मनविरक्त करन गुटकासार-चरणदास पता नाभा 20 (ग-३) वि० संसार से मन को विरत करने की विधि, पत्रपत्रिदे० (ज-६२) भागयत के एकादश स्कंध के आधार पर दत्ता- मनोहरदाम-लालदास के पिता मालनी (मा. प्रेय हारा धम्ति । दे०(छ-१४७ धी) लया ) निवासी थे। दे० (ज-७०) पनशिक्षा (लीला)-ध्रुवदास कृत, चि० ईश्वर मनोहरदास (निरंजनी )-सं० १७१७ के लग. में मन को लगाने की शिक्षा का वर्णन । दे० मग पर्तमान, ये कोई निरंजनी संप्रदाय के (क-२) (ज-७३ १) साधु थे, इनके विषय में और कुछ भी ज्ञात नहीं। मनभंगार-ध्रुवदास कृत; घि० राधारूपा का पर परनी दे० (ख-५८) (६-२४३ प्रेम-विहार वर्णन । दे० (क-१६) डी)(घ-२५२) मनियारसिंह-श्यामसिंह के पुत्र; काशी निवासी शत परनोत्तरी दे०( ध-३ ) (छ- रुष्ण कवि के शिष्य; पंडित रामचन्द्र के २६३ सी) !