पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१५

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( १२ ) इस समय तीन एजेंट संयुक्त प्रदेश में और एक | के लिये और अपने पीडक पर अपना क्रोध प्रद- पंजाव में काम कर रहे हैं। शित करने तथा उन्हें दंड देने के लिये सिर उठाते हिंदी साहित्य का इतिहास तीन मुख्य कालो | हैं। हिंदुओं के लिये यह समय बडी विपत्ति का में विभक्त किया जा सकता है-प्रारम काल, मध्य था। वे निरालंब, निराधार और निराश्रय हो रहे काल और उत्तर काल । प्रारंभ काल का प्रारंभ | थे, उन्हें चारों ओर निराशा और अंधकार देख विक्रम संवत् ८०० के लगभग होता है, जब इस पडता था, कहीं से भी आशा और अवलंब की देश पर मुसलमानों के आक्रमण श्रारभ हो गए थे, | झलक नहीं देख पडती थी। ऐसे समय में भक्ति. पर वे स्थायी रूप से यहाँ बसे नहीं थे। यह युग | मार्ग के प्रतिपादक महात्माओं ने हिंदू भारतवर्ष को घोर सघर्षण और सग्राम का था और इसमें वीर- रक्षा की, उसे सहारा दिया और उसमें आशा गाथाओं ही की प्रधानता रही। शहाबुद्दीन मुहम्मद | का सचार कर उसे यचा लिया। इनमें से कुछ गोरी के समय में मुसलमानों के पैर इस देश में महात्माओं ने हिन्दुओं और मुसलमानों में एकता जमने लगे और उनका शासन नियमित रूप से स्थापित करने, उन्हें एक सूत्र में वॉधकर उनमें प्रारंभ हो गया। चौदहवीं शताब्दी के श्रारंभ में भ्रातृत्व स्थापित करने का उद्योग किया, पर इसमें मुसलमानी शासन ने दृढ़ता प्राप्त की। इसी के | उन्हें सफलता नहीं प्राप्त हुई। विजेता होने के साथ हिंदी साहित्य के इतिहास का मध्य काल कारण मुसलमान अहंमन्यता से मदांध हो रहे थे। आरभ होता है जो संवत् १४०० से १७०० तक | हिंदुओं के लिये किसी ऐसे ईश्वर की आवश्यकता रहा। यह तीन सौ वर्षों का समय मुसलमानों के थी जो दुष्टों का दमन करनेवाला, सुजनों की रक्षा पूर्ण अभ्युदय का समय था। इन तीन शताब्दियों में | करनेवाला, लोक मर्यादा का स्थापित करनेवाला वे अपने वैभव और शक्ति के शिखर पर चढ़ गए। तथा मनुष्यों के लिये अनुकरणीय आदर्श चरित्रों परतु मुसलमानी राज्य की नींव धमांधता पर का भांडार हो और जिसके चरित्र उसके गुणों के स्थित थी। उसका मुख्य उद्देश इस्लाम धर्म का प्रत्यक्ष प्रदर्शक हों। पीछे के महात्माओं ने इस प्रचार और प्रसार करना था। इस कारण इस भाव की पूर्ति की और उनके धार्मिक विचारों तथा राज्य-काल में अन्य धर्मवालों पर घोर अत्याचाह आदेशों ने हिंदुओं के हृदयों पर स्थायी स्थान प्राप्त और अन्याय होते थे। धांधता के कारण मुसलमान | कर लिया जो अब तक ज्यों का त्यों बना हुआ। समझते थे कि हमारी एकता, शक्ति और संपत्ति अतएव मध्य काल के हिंदी साहित्य का इतिहास का स्थायित्व हमारे धर्म पर ही मिर्भर है, अत- विशेष कर भक्ति मार्ग के प्रतिपादक महात्माओं एष जितना ही हम उसका अनुकरण और की कृतियों का इतिहास है। एकेश्वरवादी, राम- प्रसार करेंगे, उतनी ही हमारी उन्नति होगी। भक्त और कृष्णभक्त इन तीन संप्रदायों ने भारतवर्ष उनकी समझ में यह नहीं पाता था कि घात से की रक्षा ही नहीं की वरन् उत्तर भारत के सोधा- ही प्रतिधात भी होना है। छोटे से छोटे जीव भी रण जीवन के प्रतिबिंध स्वरूप उसके साहित्य का दबाने से, सीमा से अधिक दबाने से, अपनी रक्षा | अभ्युदय भी किया । इस काल में अलंकारी 1