पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१५०

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-पायम मरदान रसाणंद- गावगरी (३५) मलूकचंदबरम कवि के पिता, दलीपनार सात परिमार(-२४३ बी) (राषा) नियासी, स०१७के पूर्ववर्तमान। हाम (पा) पूर्गिका ० (-1) मलूकदास-सपादास के गुरु । ३० (-२) पयलाखो कपि कुलपति मिन के प्रपितामह मश्कदास-कड़ा मानिकपुर निवासी पे एक । सायपति के पुत्र थे, मागरा निवासी मापुर मसित साधु इसके पशमममी कमियू प्राया। साकेमिस्ट परीमान है, प्रसिद गोस्वामी बरा तुलसीदास के समकालीन, मासिकेसमीथे। श्रमपद्यम वारापति बक बसब दे० (-) (-१५६) पत्त विकराती (४५) गुरु मनाए (बी) पुका विकास ० (-२४ सी) बाबा ०१-२६४ी) -सम्पमाम रसरसावन देवरुवा मि०१० सं०१७ निका० स० मकवास-मास कवि के पिशाओमवावलो। TV बि० गायिका मेर। ३० (८-१९४} महताबसम- १२५ के समग वर्तमाना मरवानसिंह-री (अगप) के वासुदेवाय पशोवामदा एक मानवीप परिचित ०१७ के लगभग पक्षमामा बिजयेष म्यकि,समा कि मामयवस्ता मी। मिश्र के भाभपहाता ये हीरे नाम पर कवि ने महाग रसाय बनाया।३० (--) महापरिमिभ-कम्पिला ( फवापार ) निवानी, (घ-२२५) मजनाप के पिता के पूर्व समाल मखियाम्पद मायसी-आपप्त मिडासी, - थे।२०(२) एफ अहाँगीर तथा शेष बरहाम के शिष्य, साभारत-बमसेन हतदि०० स० र ग विझी के बादशाह शेरशाह सूर के भाभिया दि. महाभारत के भारि, उपोग, भोम्स, होप्प सं० २५६० लगभग वर्तमान याति के और गश पद का मापा पचानुवाद। . मुसलमान थे। बबराक दे० (ग-१०८) मानसिंह-पटियामा नरोण ज्य का.२०१६ नापति दे०(क-२५) (-४)(क-२५) रहा। मगर कधि भाभपाता या.