पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१५७

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[ १२४ राजा गणपति देव के राजकुमार और कंचन | और पन्ना नरेश महाराज छत्रसाल के पौत्र ये; नगर के राजा रूपमुरार की कन्या सृगवती की सं०१७८७ के लगभंग वर्तमान । प्रेम कथा का वर्णन । दे० (क-४) श्रीकृमण प्रकाश दे०(च-६६) मृगावती की कथा-मेघराज प्रधान कृत; नि० मेहरवानदास--कोथवा (बारायंकी ) निवासी; का० सं० १७२३, लि० का० सं० १८०६, वि० सं०१८४६ के लगभग घर्तमान; ये एक मंदिर कुँअर इंद्रजीत और मृगावती की प्रेम-कथा के पुजारी थे। का वर्णन । दे० (८-७४) भागवत माहात्म्य दे० (ज-१६) मृगेंद्र-सं० १९१२ के लगभग वर्तमान, अमृतसर मैना-सत-२० अज्ञात, वि मैना नाम की एक स्त्री (पंजाब ) निवासी; सिक्न सप्रदाय के अनु- के सचरित्र का वर्णन । (ग-३७) यायी; पटियाला नरेश महाराज महेंद्रसिंह के ! मोक्षदायक पंथ-मानसिंह कृत; नि० का० सं० 131; वि० मोक्षमार्ग वर्णन । दे० (ज-१६०) श्राश्रित । फवि कुसुम बाटिका दे० (७-५०) मोक्ष पंथ प्रकाश-गुलायसिंह कृत; नि० का० प्रेमपयोनिधि (ड-४६) सं० १८३५, लि० का० सं० १-३७, वि० वेदांत । मेघराज-फगवादा निवासी; इनके विषय में और दे० (घ-%) (ज-180)(कल के नाम में कुछ शात नहीं। मेघविनोद दे० (ज-१६७) मोक्षमार्ग पैड़ी-बनारसीदास कृत; वि० जैन. मतानुसार मोक्षमार्ग का वर्णन । दे० (क-२०६) मेघराज प्रधान-सं० १७१७ के लगभग वर्तमान, मोतीलाल-जन्म का० स० १५६७, इनके विषय जाति के कायस्थ; श्रोडछा नरेश राजा सुजान- में और कुछ बात नहीं। सिंह के आश्रित थे। गणेशपुगण दे० (ख-8 ) (ज-२००) मृगावती की कथा दे०(छ-७४ ए) मकरध्वन की कथा दे० (छ-७४ बी) मोहन-उप० सहज सनेही, सं०१६६७ के लग- सिंहासन पतीप्सी दे०(छ-७४ सी) मग वर्तमार, मथुरा निवासी; यादशाह जहाँ. गीर के आश्रित व समकालीन, शिरोमणि मिश्र राधाकृष्ण जू को झगरी दे० (छ-७४ डी) के पिता । दे० (छ-२३५) मेच विनोद-मेघराज कृत; वि० वैधक । दे० अष्टावक्र दे० (घ-४) (ज-१६७) मोहनदास–जाति के कायस्थ, सं० १६८७ के मंदिनीगिरि-रसाल गिरि गुसाई के गुरु; सं० लगभग वर्तमान, नैमिषारण्य के निकट कुर- १८७४ के पूर्व धर्तमान, मैनपुरी निवासी थे। सठ (हरदोई) निवासी। 'दे० (ज-२५६) पवन विचार दे० (क-५) मेदिन मल्लजू देव-दीवान. हृदयसिंह के पुत्र पवन विश्य स्वरोदय दे० (छ-१६७.) . .