पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कवियों का भी अभ्युवप मा । कहिपत कथामों | प्राचीन पुस्तकों की खोज की माप गो समावना है से दिली साहित्य शरीर की प्रीति था पुषिकि भनेक प्रय-रामों का पता चल जाप । मायकाल करनेवाले मुसममान कषि मी इसी समय मै एका हिंदी साहित्य ३ मुख्य मागों में विमक होता परतु यह विदेशीय पौधा भारतवर्ष की प्रतिक्षा | है पाद (१) पकेश्वरवादी कवि (२) राममक और भाष शयु में परिपोषित और पाविहम हो सका। (३) कम्पमक कषि (५) भकारी कधि (1) कम्पित पह इसी काम में लगा और इसी में मुरमा भो कथामा ककवि मौर(६) फुटकर कवि । सर या गया। महाँ इस काम में मुसझमामी राय का वर्तमान काल में मध्यकाल का अंतिम पर बिछा अभ्युप मा ही साथ ही साथ उसकी बड़ मै भश मासा ,पर हम काम की विशेषता गरी पुन मी लग गया और पाठ में उतर कान में | की ममिकता में है । हिंसी इसलिखित पुस्तकाकी उसका ससून नाश मी हो गया, यहाँ हिसी खोज का सवप विशेषकर पूर्व काल भोर माप कास साहित्य मी पति के शिखर पर पाँधकर मर्स | से, पर इस बोन का अधिकांश काम भयुक प्रदेड कार के मापा जाह में ऐसा फैसा कि परमपना में हामे के कारण मध्य फास की सामग्री बिग्रेप कर समा स्वरूप ही भूतकर अपनी मारमा का विरमवई है। इस सहित विवरण में सामिया स्कार कर बाहरी टारर और शारीरिक सहा- कर १४० दियों और उनके भाभयावामों का पर बनावट में मौरंगजेब के समप के मुखक्षमानी तथा २७५६ प्रपों का उल्लेख है। इस सम्मा फार की मांति का गया। सची कविता अपने से ही इस कार्य के विस्तार और महस्य का मनु उभासन से नीचे गिर पड़ी और प्रत में उत्तर माम किया था सस्ता है। किस किस करके काल में एक प्रकार से विलीन हो गई। उत्तर काम | विषय में किम किन नई बात का पता लगा में मिटिश शासन की जड़ कमी,मुसलमानी प्रस्पा है, इसका विवरण देने से इस प्रस्तावना ध पाये से सांस लेने का समय मिला, पूर्व और भाबर पाच या मापगा और इसकी कोई प्राव पमिम का सम्मेशन हमा, माध्यामिकता और एकता मी नहीं है । परन्तु संक्षेप में हम दो बार मौसिकता में घोर समाम प्रारम मा । इन सब बातों का उस्लेक कर देना चाहते हैं। किसी पिपय बातों का पह. परिक्षामहमा कि माप, विमारादि । मै बहाँ किसी एक रिपोर्ट का दूसरी रिपोर्ट से में परिवर्तन होने लगा। कृषिवा-युग की समाप्ति विरोष होता था, पहाँ पर अनुसथाम र पया होकर गप युग का मारम मा। इस काम में शक्ति निमित मत देने का स्योग किया गया है- साहित्य-सरिता नए वेग भीर मप बहस परित (भूपति कतपशमस्कय मागबत् का निर्माण होकर बहने लगी। काल तीसरी रिपोर्ट में स० १५३४ (ग-११५) मामा मतपय हिंदी सारिप इतिहास के पूर्व पया 2 परतु निम्नलिखित कारणों से १७ मी मुल्यमा वीर फास्यों में है। परंतु स्थिति मामगा ही ठीक है- की प्रविशताधरण हममें से अधिकांश काम्पों (भ) समय की अठारहवीं शताम्वी से पूर्व का मात्र पवा महीं चलता। परि रामपूधामे में की कोई मति नहीं पाई माती। |