पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१६०

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[***] योगवशिष्ट- waजिका० ० 1918 रामाय-पातिक यीशम म. १०२ के लग वि०परेपाशिष्ठ का मापाद्धपार । २० (-) भग पर्वमार पनारस मिग्रामी, कापी योगवाशिष्टसार-कीद्वापराये का सिकार मरण महारास पलपतसिंह (परिपतसिंह) स० वि० सात यागपाण्ठि का माभित, कथि गोकुलनाथ के पिता ने संक्षेप में भाशय । ० (-२७६) (घ-५)(फ-१) योगपाशिष्ठ मारा---० अहाता लि. कास० मगहमीरन दे० (ब-११२) (-३५ वी) ११-tEN के मध्य में वि० संसह योग विमोल पाप-१६) पाशिका मापानुपाद। (-६५) परवापर दे०(4-१४ (-२३५५) योगशाख-प्रवर मनन्य (मम्य ) हतापि रघुनाप--स०१७ मगमग पसमाम बाद माया मीर का चरम ० (-२) ग्रा हांगीर समधामीम, प्रसिद दि योगसुपानिषि जमदीराम त हि का.स. infiyष्य, जातिवाझपाये। PERATOससमय यागबाशिठ का मापानु पघुमायपिंथाच दे० (-२१०) बार 120(-२) रघुनापदास--अमरदास के शिष्य स्वामी हरि पोगीहतार भाषा-मुखमनात मि० का० सं० दास के अनुयापी मयता १० वी ग्रवाही १८ममि भारमझान बारानिष्टि प्राप्त करने मैपर्वमान थे। के सामन 120(-१) परिपाटी परि०-२३६) रंगमर-मुर निका० समक्ष रघुनायरार-मागपुर मरेर राश्य स० पिरापाप का निस्प विहार पर्णका २० (BE-PER हरिदेव कपि के भाभयदाता पा(0-11) रंगमाला-मुण सखी त यिसमा रघुनाथरूप-मध्य कवि पिपोहों और परितनारे० (-०६५) सारठौ में रामापण की कथा मारवारी भाषा में वर्णित । ०(१-२) रंगविनोद (लीला)--घुपरास वि० गमा रघुनाथपिलास-रघुनाप : प्राह्मण हत, हि रुसका पिहार पणन !(क-१३ धाव) का०सं०/ वि.संतरा रसमजरीका (सम्स्यू) मापानुपाय ! (0-110) रंगविहार (सोला) पदाध त यि: रघुरानमिद-रोमा मरेश पम्प स. एमाण गरिप्रवर्णन । १० (८-१३ पार) (ज- एक्स) १९५१-२ महाराज पितापसिंह के पुत्र जम्मा स रामानुभवास रैगबुखास--मुपवास मा वि० राधा का हम्ण कशिष्य रन्हो सामी मुखाचार्य से मत्र का लिस्य-विहार लीक्षा में श्री-वेश में पनामा। दीक्षा की हमके दरबार के मुख्य समासद 20 (1-३ मी) (ज- पाइलममाय, हरनदास, विश्वनाय ग्रामी,