पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१६१

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[ १२८ ] रामचंद्र शास्त्री, रसिक नारायण, रसिक | रणजीतसिंह-सं० १६०० के लगभग वर्तमान विहारी, गोविंदकिशोर और कवि घाल जाति के ढढेर क्षत्री अनिरुद्धसिंह के पुत्र गोविंद थे। पंचमपुर निवासी थे। सुदर शतक, दे० (ज-२३७) (क-४५) फनापास्कर दे० (८-१०२) भानदाम्युनिधि दे० (घ-१७) रणधीरसिंह (गजा)-सं० १८६४ के लगभग भागवत माहात्म्य दे० (घ-1) वर्तमान, भरतपुर नरेश थे। रुक्मिणी परिणाय दे० (छ-२१०) पिंगल नामाण दे० (छ-३१६५) विनयपत्रिका दे० (क-४६) फापरणाकर दे० (छ-३१६ धी) जदुराजविजाप दे० ( 2-38) रतिमंजरी (लीला)-ध्रुवदास कृत; वि० राधा जगदीश शतफ दे० (ड-२) कृष्ण का विहार वर्णन । दे० (क-१३ दी) रामरसिकावली दे० (ट-८४) (ज-३ एल) रामस्वयंचर दे० (ख-७) रन कवि-सं० १८२७ के लगभगवर्तमान श्रीड़छा रघुराम-सं० १७३७ के लगभग वर्तमान, जाति (बुंदेलसड) निवासी, राजा छत्रसाल के वंशज के कायस्थ, प्रोडछा (बुंदेलखंड ) निवासी; फतेहसिंह, पन्नानरेश सभासिंह और दीवान राजा जसवंतसिंह के आश्रित । हिंदूसिंह के याश्रित थे। कृष्णमोदिका दे० (छ-83) मलकारदर्पण दे० (छ-०३) रघुराम नागर-सं० १७५७ के लगभग वर्तमान, फतह पकाग दे० (ज-२६६) अहमदाबाद निवासी जाति के ब्राह्मण थे। रत्र कवि-इनके विषय में कुछ भी प्रात नहीं। समासार नाटक दे० (ज-२३८) चुपचातुरी विचार दे० (ड-8-) माधवविलास शतक दे०(ज-२३८) चूक विवक दे० (3-२००) रघुवर (कर) करुणाभरण-जनकराजकिशोरी दोहा दे० (ड-१०१) शरण (किशोरीशरण) कृत, लि० का० सं० विष्णुपद दे० (८-१०२) १६३०, वि० अलंकार । दे० (ज-१३४ एन ) रनकुँचरि-राजा शिवप्रसाद सितारेहिंद की (छ-१८१५) दादी; काशी निवासिनी; सं०१६४४ के लगभग रघुवरशरण-- इनके विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं। चर्तमान; ये संस्कृत और फारसी की अच्छी जानकी को मंगलाचरण दे० (छ-३०६५) विदुषी थीं। चना दे० (छ-३०६ यी) मेमरण दे० (ज-२६७ ) ( ग्रंथ कर्ता के रणजीतसिंह-जंवूनरेश, सं० १८१८ के पूर्व नाम में भूल है।) वर्तमान, महाराजकुमार ब्रजराज के पिता थे। रत्नखान---मलूकदास कृत; वि० प्रारमा और दे०(ख-६३) ब्रह्म का वर्णन । दे० (ज-१५ धी) +