पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१६२

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[ १२६ } रणदिका-प्रासादित; मि. का. स. १२५ वि. रतलाम नरेश महाराज रतन १८८५ लिका 12 वि. द्विारी महाका महाराज असपसमिर की भोर से सहसा पर रोका। दे०(९-१ पफ) औरगर से पुश करने भौर मारे जाने का रबदास-इन पिएप मैकुल भी बात नहीं। वर्णन । ०(7-२६) हिप० रबसागर--मभ्य नाम स्तमपरीक्षा गुरुमसार सरोइपर६०(८-१९०) निa का. स. १७५, MONTH. मदिन-नके विपय में कुछ मी बाठ नहीं। १६०, पि० रनों की साति, गुण, पहचान गया भोष ० (च-३२१) मादिकाधना. (ध-२५) (-३२६) रखापरीना-मन्य भामरठमधागपगुमास ? | खसिंह-सीसामनरेश राधा राधसिंह के पुत्र वि० को गुरु और उनकी पहचान भाषि स. १६00 गगग पर्वमान थे। का वर्षमादे.(प-२०) (च-२५) मायागा विसर दे० (-10) रखपाल मैया--सं० १७४२ के लगभग धमाल मसि-परवारी (शिवायर) मरेश राय करीमी (पानामा ) मरेश, चवि देपीदास का० - १-१ कवि प्रतापसापि, भामणपाता थे।(-२२० (-२) मोजराज, पोपाल और पनापामदास के (-१)(कानाम में भूत ) माप्रयदाता थे। ३० (८-१५) (घ-६५) रन-नापनी-I कता विक मधुकर (-३६) (-1) (-४०) साहि पुत्र वर रतनसिंह का प्रकार की भियपश्शिन दे०(छ-२०४) मेमा साप गुर करने का बना दे० रमसिंह-विनायर (उदेशमएड) मरेश राम्म (1-4 बो) का० ०११-12 पागदास कषि रबम-2013 जगमग बढेमाला मासिक क भाभयदाता पे।दे० (म-२२८) वैसंग प्रामण, रुप्पमा के पुष, मत्यर (ग्वा. रमसेन–विचौर के राणा, पसायती रानी के लिपर पर) निवासी मोहनलाल पिथे। पति, भलायाम विलजी से इनका युवामा सामुक (क-२१४) था जिसमें प्रपा में घायल होकर प्राण त्याग रममोश-10 के लगभग वर्तमान किया स० १३२० गमग पर्वमान। इन्होंने बतपतसिंह और मोरंगझेबपुर में सेन--पि यतेश के मामयदाता शीत 7 अपने प्राय पंकर महापर ससपतसिंह की हेमा कही के राजा । (-) रक्षाीपीपेरतसाम के राजा थे। सामारा-रममिमि रस हिORथा (ग-2) पिपरस के एक सदन दोई। ३० (-४) समरेश दासांत पनिका-रिवरिया जगाजी कवलि-०स० १७१५, लि० का 8. रजामीर की पार---रामदेय का । २०(ग- सीम)