पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१७८

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रापानंद (बारी)-पदायी वादी के प्रारंभ वि०परपारी के मामकृथिव रामायण पर में वर्तमान, प्रसिद सुमारजनामदेव ट्रीपी पधारमा म्पादया। ऐ० (-1) समीर गुपथे।.(-३५) (-२०५) रामापण (श्यामदास रुन)-मम्प नामरामाणप, रामानंद- दी ताप्दी में मठमान; इनके श्यामशालता निका० १० ११ निक विषय में मोर एष भी शान नहीं । का०म०१३३, घि०ीरामचमीका परित्र रसी (-100) वर्णन । दे० (प-२१) (प-1४५) रासा (लो)(ब-२५०५) रापापण फांश-नवलसिंह (प्रधान) एतमि रामानंद-रे पहले सुधार थे, पीछे पेगन मेहर का सकषि महारादिक्रम से पमा सम्मासी हुए और मपोप्या में रहने मगे थे, पण के पद 120(0-384) सरके लगमग यमान, सूरपु का रापापण तुलसीकर-रसमलाल फल दि. सं018६४ गास्वामी तुलसीदास कृत रामायण से शिवा मान दोन भाषा दे० (-५१५) मोर पदेशात्मक पदो का संग्रहादे०(४-५६) परस गरे.(४-१५१) समापण सुखसीदास कृत-गास्वामी तुलसी सामानंद सारी-रामचरणरस मि016 दास एम. मि.का० ०१३॥शि.का.स. स०१५-सिलका १ यिक १६३१६ या पापा र रामापुर (ला) तुलसीरव रामायण पर टीका ।०(८-१३) पाता। दे० (-२८) रामानुमदास- पी ताप्दी में प्रतमाम, रामायण सुक्षसीदास कुठ ( पाल पार) रीवा महाराष्ट्र रघुराजसिह हे गुर थे। गोस्वामी गुप्तीदास एठा निम का संच ३०(-) सिका.स. १६६ सोयोदार रामायण-पदारा विश्वनायसिंद न मि० सन् पि. रामचादीका वालपरिम का सालिक ०९०१८मामि पर्णन। (प्र-२२) रामनन भी हा परिमयपन। ३० (-114) | रामायण परिचर्या-काष्ठजिहा स्पामी पवा पि. (४-३२६ एफ) तुसती एव समापण की कठिन चौपाइयों पर रामापण-गोमसीराम का नि० का० सं० का दे०(८-48) १६१५, सिका० स० १४२२, वि० रामयजी रामापण मापा-कास पल का.स. हा परिब-यन। २० (प-3) 21पि श्री रामजानकी की क्या का रामायण-रिस एच लि.का.स. १४२ पग।२०- दी) यि+मुतसीय रामायनीसपित कपा। समापण पहानाटक-प्राणघर बौदान प्रता नि०का.स.क्षिका सं० १ रायागण-सीमाराम स्तमिR.13२५ पि. रामचंद्रपीता काया।.1-4) 8