पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१८१

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रूप सखी-ये रामानुज संप्रदाय के सखी समाज रैदास भक्त की कथा | दे० (ज-१५) (ब-१३३ के वैम्णव थे। तीन) होरी दे० (छ-३२२) रंदाप्त की बानी-रैदास कृत, नि० का० सं० रूप सनातन-श्रृंदावन निवासी; गौड संप्रदाय १५०७, वि०६श्वर-मदिमा घर्णन ! दे० (ज-२४०) के वैष्णव थे; इनके विषय में यह प्रसिद्ध है। रैदास के पद-दास कृत; लि० का० सं० १७०६) कि ये रुप और सनातन दो भाई थे; पदले वि० मान और भक्तिः । दे० (ग-६७) राधाकुंड और दूसरे वृंदावन में रहते थे। रैदासजी की साखी तथा पद-रैदास कृत; मार मुख दे० (छ-२२३) पियानोपदेशादे०(ग-५५) रूपसाहि-सं० १८६३ के लगभग वर्तमान: जाति रनरूपारस-महाराज सावंतसिंह (नागरीदास) के कायस्थ, कमलनयन के पुत्र, पन्ना (बुन्देल. हन, वि० उमण का विलास-यर्णन। दे० खंड)निवासी,महाराज हिंदूपति के श्राश्रित थे। (ग-१२६)

  • प विकास दे० (च-३) (छ-९०५) लक्ष्मण-ये फोर-पंथी जान पड़ते हैं। इनके

रेखता-कधीरदास कृत; लि० का० सं० १६६१, विषय में और कुछ भी बात नहीं। वि० श्रात्मशान और गुरु-माहात्म्य वर्णन । दे० निमाग्न रमैनी दे० (छ-२८३) (ज-१४३ पी) लक्ष्मण चंद्रिका-लक्ष्मणराप कृत; नि० का० रेखता दरिया साहव-दरिया साहय कृत; लिक सं० १७३, लि० का० सं० १९४५, यि केशव का० सं० १६०७, वि० मान । दे० (ज-५ जे) कृत कयिप्रिया पर टीका । दे० (-1) रैदास-प्रसिद्ध भक्त. सं० १५०५ के लगभग लक्ष्मणदास-नके विषय में कुछ भी मात नहीं। वर्तमान, स्वामी रामानन्द के शिष्य, वैश्य दो दोद्दों का पद दे० (छ-२-४) संप्रदाय में इनका ऊंचा स्थान था; ये जाति के | लक्ष्मण पाटक-मयानीशंकर के पिता, भदैनी चमार थे। (यनारस) निवासी, स०१८७१ के पूर्व वर्तमान, रैदास जी की सासी व पद दे० (ग-५५) जाति के ब्राह्मण थे।दे० (रा-१३) रैदास फी यानी दे० (ज-२४०) लक्ष्मणप्रसाद-गुन्नूलाल उपाध्याय के पुत्र; रैदास के पद दे० (ग-६७) घाँदा निवासी, सं० १६०० के लगभग रैदास की कथा-अन्य नाम रैदास की परिमयी, धर्तमान थे। अनन्तदास कृत, नि० का० स० १६४५, चि० नाम पर दे० (ज-१६२) रैदास भक्त को कथा । दे० (छ-१२८ वी) | लक्ष्मणगव-ग्वालियर नरेश दौलतराव संधिया (ख-१३३ तीन) (ज-५ ए) के सरदारों में थे और इन्हें शमशेरजंग बहादुर रैदास की परिचयी-अन्य नाम रैदास की कथा, को उपाधि मिली थी, सं० १८७३ के लगभग मनन्तदास कृत; नि० का० सं० १६४५; वि० पर्तमान थे। एक