पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१८३

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[fo] लक्ष्मीपसाद मुसाहब-जाति के ब्राह्मण, सं० | लघुमति-नके विषय में कुछ भी बात नहीं। १६०६ के लगभग घर्तमान महाराज प्रसाल घरनाय दे० (छ-२८६) के वंशज विजावग्नरेश राजा भानुप्रताप के लघुराम-नके विषय में कुछ भी प्रान नही । आश्रित और सरदारों में थे। सयित दे० (छ-२८७१) गार फुटली दे० (च-८) मात विद्रावती दे० (१-७ यी) लक्ष्मीश्वर चंद्रिका-सत कयि कृत, नि० का० लघुसतसइया-लघुजन कृत; नि० का० स० सं० १६४२, वि० अलंकार और नीति काचर्णन । २०१६ निका० सं० १६६ वि०६३ भावों (यह पुस्तक महाराज लक्ष्मीश्वरसिंह दरभगा. का वर्णन, चौध किशोरदाम और स्यम्पसिंह नरेश को समर्पित की गई थी।) दे० (फ-११) ने सही टीका की है। दे० (ए-६७ ए) लक्ष्मीश्वरसिंह-दरभगा-नरेश, सं० १६४२ फे लन्दीराम-फयि दयाराम के पिता; सं० लगमग घर्तमान, संत फवि के आश्रयदाता २७७६ के पूर्व वर्तमान; दिली निवासी थे। इनके दीवान पंडित शिवप्रसाद के कहने से दे० (-५०) संत कवि ने लदमीश्वर-चंद्रिका ग्रंथ बनाया। लन्छीगम--सं० १८१० के लगभग पर्तमान; दे० (क-५१) इनके विषय में और कुछ भी प्रात नहीं । लखनदास-इनके विषय में कुछ भी बात नहीं । भागवत मापा दे० (ज-१६३) गुरु चरितामृत दे० (ज-१६८) लच्छीराम - उप० कृष्णजीवन लछिराम कृष्ण लखनसेन–इनके विषय में कुछ भी बान नहीं । जीवन के पुत्र; अयोध्या के प्रसिद्ध लच्छीराम महाभारत मापा दे० (ज-१६७) से भिन्न है। लगन पचीसी-कृपानिवास कृत, लि. का० योग सुधानिधि दे० (छ-२८५५) सं० १४२३, वि० ईश्वर प्रेम वर्णन । दे० (ज-१५४ डी) करुणभरण नाटक दे० (छ-२५ वी) (ग-६२) (क-७४) लग्नाटक-महाराज सावंतसिंह (नागरीदास) कृत,वि० कृष्णलीला घर्णन ।दे० (ख-१२१ सास) / ललकदास-येनी कवि के समकालीन, सं० १८४७ के लगभग वर्तमान; लपनऊ निवासी, लघुजन-उप० विक्रमाजीत; ओडछा (बुंदेलपंड) नरेश राज्य का०सं० १८३३-१८७४, किशोरदास भडीमा-कार थे। और स्वरूपसिंह के आश्रयदाता । दे० (छ-६१) सत्यौपाल्पान दे० (ज-१७२) लघसतसत्या दे० (छ-६७ ए) ललित--उप० अर्जुन । दे० "अर्जुन (अ-5) भारत सगीत दे० (ह-६७ धी) ललित ललाम-मतिराम कृत; वि० पिंगल पदराग मालावती दे० (छ-६७ सी) आदि का वर्णन । दे० (ध-६७) विष्णुपद दे० (छ-६७ डी) ललिता श्रृंगार दीपिका–जनकराजकिशोरी- विष्णुपद दूसरा दे० (छ-६७ ई) शरण कृत,लि० का० सं० १३३० वि० रामचंद्र