पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१८४

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सपा शासकीजो केयाम करने की विविध करिक पिar, ENTEलगमपमान, वर्णम 120(1-12 मो) काणी-मरेश महारानसिह के माधित थे। खम्लू माई-भृगपुर निवासी, जाति के पेपर रकम्प ० (-१) सलगमा यसमान थे। पति (पाचौमरेशोंबी एसा मैं) देव पारप मशी-13३) (प-१४) (म-२४) खान कपि-उप० हमीप स०१७२७केग खन्नान-उप०साका कवि कानिमासम भग वर्तमान अयपुर-मांश महाराज रामसिंह कालोमा मागरा निवासी सारिके गुजराती कमामिल थे। प्राझण, कमी के पोर्ट विहिपम मेंसिरी के अपायक, साहसगभए यतमान, मारतसार ९० (-१) ये हिंदी के प्रथम गवखर सममे जाते बाल कवि-प० गोरेलास. १७४२ हेक्षण है। दे० (-10) मग पतमाम पमा-भरश महाराम चनसान बाद द्विरा २०(ब-७२) के प्राभिव, मह निवासी थे। मरागार दे० (-४२) मरले दे०१-४२) दी जी और पारसीमा दे०(ज-159) पत्र पाए दे० (पी) एमदिनार (१-५३पी) (ब-१२वी) राजनीति (म-७५बी) लाल कतानिमि-बम का सामने शानासिंह (सामी) मोठ के सामी। स० विषय में मोर मी कात नही । रही हपमग पवन यास करके समिपि दे०/-१२) भाषपदावा।(४-०३-११) लाल खानिधि कम नखशिस-साल कसा खारतीदास-राधाप्रशमी समवाय के अनुयायी, लिपि मा वि०मृगार रस का वर्णन। २० पारन निवासी, स०1४२ के मामग दे० (-१४२) वर्तमान। छालचंद-मौमागरिरेशिम्य, स० १७३ पर्म कोपा ०३-११५) प्रगमग पर्तमान, बीकानेर-मोश अनूपमिद खानाप महागम-लका पूरानाम गुष्मापुस फाठारी मैमासी क पुष गतप्ती के मामिव साइमाप महा मोधपुर-नरेण मापन जिनपद हिके भनुपापी पे। 7 मानसिंद पंथ, स110 के लगभग ती भारा बरे (ग-5) पतमा त्रि मास क माधपदावा लाल द्विका-अपि हास (मानूसास) रत, निक इन्हीम एक मि में २५ बाधी भीर स साप का० सं. विहिरी-सतसई पर दपए २ रुविधा दिए पे।३० (-1) रीतादे० (-101) खास कपि- पिक पितामह मोर गुलापलाजमदास-~०माप्सन पास, जाति प्रापफ