पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 [ १५४ ] लि० का० सं० १२१; वि० ब्रह्म का वर्णन 11 वामनकण-राजा जयसिंह जू देव कृत; वि० दे० (ज-२६०) भगवान के वामन अवतार की कथा। दे० वसुदेवमोचनी लीला-घनश्याम दास कृत, (फ-१४२) लि० का० स० १६५२, वि० श्रीकृष्ण जन्म और वानाविनोद-गोकुल कवि कृत, नि० का० सं० वसुदेव का बंदी-मुक्त होना । (-३६ वी) १६२६, लि० का०स०१६३०,वि०धार्मिक और चाक सहस्त्री-यदुनाथ कृत, वि० कहावतों का आचारिक रीति का वर्णन। दे० (ज-६५ को) संग्रह । दे० (-३३३ घी) चारण कवि-3५० वरारी मुगल, सं० १७१२ वाजिद-कासिम का पिता, स० १६४८ के लग के लगभग वर्तमान, सै पद अशरफ जहाँगीर भग वर्तमान । दे० (ज-१४७) के शिष्य, मुलतान शुजा के प्राश्रित, जाति के वाण (कवि)-सं० १६७४ के लगभग वर्त- कुशल मान, दिल्ली के समीप के निवासी; अब्दुलरद्दीम रत्नाकर दे० (ड-७६) स्नानखाना ( रहीम) के आश्रित, जाति के रसिक विलास दे० (च-६३) माथुर चौवे, इनको राव की उपाधि मिली | वाल्मीकीय रामायण-त्रधारी कृत; लि० का० थी और बादशाह अकघर की ओर से नर्दा सं० १४१४, वि० वाल्मीकीय रामायण के तीन गाँव इन्हें जागीर में मिला था। कांडों का अनुवाद । दे० (उ-६८) कलि चरित्र दे० (छ-१३४) वाल्मीकीय रामायण--संतोषसिंह कृत; नि० 'चानी-सरसदास कृत, चि० राधाकृष्ण के गुण और सौंदर्य का वर्णन । दे० (छ-२२६) का० सं० १८१० वि० वात्मीकीय रामायण वानी—सेवकहित कृत, लि० का० सं० १८८८, वाल्मीकीय गमायण श्लोकार्थ प्रकाश-गणेश का भापानुवाद । दे० (घ-१२१) वि०हितहरिवंश की प्रशंसा । दे० (छ-२३२) कवि कृत; वि० वाल्मीकीय रामायण के बाल बानी-हित गुलाबलाल कृत, लि. का० सं० कांड तथा सुंदर कांड के पाँच सौ का भाषा- १८२७, वि० भिन्न भिन्न अनुभावों का वर्णन 1 दे०(छ-१७३) नुवाद । दे० (घ-२४) चानी-बखत कुंवरि ( उप० प्रियासखी) (स्त्री) वामन चरित्र-लालदास कृत, वि० वलि-वामन कृत, लि० का० सं० १८४८, वि० राधाकृष्ण की कथा का वर्णन । दे० (ज-२७० वी) का प्रेम-वर्णन । दे० (--) वामन वृहद् पुराण की भापा-ध्रुवदास कृत; 'वानी ( रससार -रसिकदास कृत, वि० वि०ब्रजगोपियों का माहात्म्य वर्णन। दे० कृष्ण-सौंदर्य और उनके प्रति भक्ति का वर्णन । (क-१४) दे० (छ-२१८ वी) वासुदेव-रामधन के पिता और हरिचरणदास वानीभूपण-रामसहाय कृत; वि० काव्य की के पितामह, सं० १७६६ के पूर्व वर्तमान ! दे. रीति का लक्षण मादि। दे० (उ-२३)