पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१८८

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पिक्रम बिलास-शिषम मा क लि. का. मौर वि. गुरु शिष्य का माद्यारिक स० वि०पूर्यपशापसी तथा उपाशम, मौर माभ्यास्मिक विषय पर संपादक मंत्री और शासक के काम का पईन। 20 (५-१२८ बी) (५-२६५) (अ) (निक (-११०) का० सं० १७ मी दिया है। दोनों में से एक विक्रम रिशास-गापर कमि० का० स० भाव है। १७३१ लि. का० Holy तिनिधार माला-मुरबाप्त कन, fra का पचीसी की कपामो का एवानुवाद) १० २६३५, वि० गुरु-माहात्म्म और वर-भक्ति वन । (-३१ सी) विक्रम समई-महागा पिझमानीन (पर महागन पिझमानीत (सर विचित्र कपि-स० १७४० के मामा पर्तमा, बारी नरेश) कि० का 60 TEN फव (स्टापा ) निवासी, भानचा के शासक वि० नायिका मेप पर। इ० (-48) बगराजमाधव थे। राम विलास 2012-१२) विचित्र माशिमा-रामचंद्र कत, लिसा पिक्रम साहिए. विक्रमाजीत या विक्रमा १८३, वि०बर विज्ञाप्त का सार बर्षन . दिल्या परवारी (अलवर)हरेश, राज्य (7-२४) स. १८३- विजयबहार पिमयदेव हरि--१० ११८ के पूर्व बर्तमामा इनकी हापि पी पुमान, भोजराज, महाप जैनमतापमापी, इनके विषय में मौर रुकमी और प्रपागदास कारिक भाभयदा ये शायमाहीं। लय भी मष्यकपिथे। सीवात दे०-६१) गरिमा विकास पूर्वी दे० (-२) विजय महापुर-परबारी मरेबप विक्रम सरिमा निट (4-७३) साहि या विक्रमाजीता दे० विक्रमसहित) जिस पठसा दे० (4-481 (-११५) विजय मुकाबली-नसिंह का नि० काम (-) (-२२-) (-७४) लिका० १० ११ वूसरी पति का (५-५२) (-) (-) २षि महाभारत का एक वर्षस। दे०१५-२०(-1) विक्रमाजीस--मोरया मो, पम्प ० सं० मिमय ससी-पशी हसरा के गुग सपो १- शिवराम मा मोर सर्वसन संप्रदाय के अनुयायी थे।३० (-1) कवि के भाभपाता । २० (६-२०६) लिमपसिा-सोधपुर गरे। पम्प का ७० (५-११०) २८०- महारामकुमार सिर विचारपाठा-मनापवास (महाप) पिता मामपाल कृषि प्रामपदाता थे। निका०स०१० काम दे० (-)(ग-२६) 7