पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१९

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( १६ ) ऐसे हैं जिन पर संदेह किया जासकता है। गीता स्वरूपसिंह देव हितार्थ रचा गया है जैसा कि भाषा, राममुक्तावली, अंकावली, ज्ञान को प्रकरण, ग्रंथ में वर्णन किया गया है। कृष्ण-चरित्र, उपदेश छोहा, सूरज पुराण और ध्रुव वृत्त कीमुदी ग्रंथ की, सरसी सिंह स्वरूप । प्रश्नावली नामक ग्रंथ विशेष विचारणीय हैं। इनके रची सुकवि मतिराम सो, पढौ सुनी कविरूप ॥ अतिरिक्त चार नथ और हैं जिनके नोटिस नहीं कवि ने अपने वंशादि का परिचय भी निम्न- लिए गए हैं। लिखित पद्यों में दिया है। इस ग्रंथ में सर्वत्र विक्रमी संवत् का प्रयोग तिरपाठी वनपुर बसै, वत्स गोत्र सुनि गेह । किया गया विबुध चक्र मनि पुत्र तह, गिरधर गिरधर देह ॥२६॥ यहाँ पर हम एक विशेष यात का उल्लेख करना भूमिदेव वलभद्र हुव, तिनहिं तनुज मुनि गान । चाहते हैं । यद्यपि इसका संबंध सन् १६०० से मंडित मंडित भडली, मंडन मही महान ॥२२॥ २१११ तक की खोज के काम से नहीं है जिसके | तिनके तनय उदारमति विश्वनाथ हुव नाम । माधार पर यह विवरण प्रस्तुत किया गया है, पर दुतिधर श्रुतिधर को अनुज, सकल गुनन को धाम२३ इस अनुसंधान के अत्यंत महत्वपूर्ण होने के कारण | तासु पुत्र मतिराम कवि, निज मति के अनुसार । तथा इस खोज से अत्यंत प्रचलित बातों का कैसे सिंह स्वरूप सुजान को घरन्यो सुजस अपार ॥२४॥ संशोधन हो सकता है, इसे दिखाने के उद्देश से इससे प्रतीत होता है कि मतिराम कवि धन हम इस बात का उल्लेक यहाँ करते हैं । इस विषय पुर निवासी वत्स गोत्रीय पं० चक्रमणि त्रिपाठी पर मिन्नलिखित विवरण लिखने का श्रेय खोज के के पुत्र रत्न पं० गिरिधर के प्रपौत्र, पं० बलभद्र के पजेंट पंडित भागीरथप्रसाद दीक्षित को प्राप्त है- पौत्र, पं० विश्वनाथ के पुत्र और पं० श्रुतिधर के “गत वर्ष जिस समय मैं फतहपुर जिले में भतीजे थे। महाकवि भूषण ने भी शिवराज भूषण भ्रमण कर रहा था, उस सयम असनी निवासी पं० | में अपने घशादि का परिचय इस प्रकार दिया है:- कन्हैयालाल भट्ट महापात्र के यहाँ जो कि महा दुज कन्नौज कुल कश्यपी रतनाकर सुत धीर। कषि नरहरि महापात्र के घंशज है, "वृत्तकौमुदी" वसत तिविक्रमपुर सदा तरनि तनूजा तीर ॥२६॥ मामक एक ग्रंथ खोज में मिला था। वीर वीरवर से जहाँ उपजे कवि अरु भूप । यह ग्रंथ महाकवि मतिराम का रचा हुआ है। देव विहारीश्वर जहाँ, विश्वेश्वर तद्रूप ॥२७॥ उसका निर्माण काल सं० १७५- वि० है जैसा कुल सुलक चित कूटपति साहस सील समुद्र । कि इस दोहे से विदित होता है:- कवि भूपण पदवी दई हृदयराम सुत रुद्र * ॥२६॥ संवत सत्रह सै वरस, अट्ठावन सुभ साल । इससे विदित होता है कि महाकवि भूषण कार्तिक शुक्ल प्रयोदसी, करि विचार तेहि काल* ॥ विनिमपुर निवासी कश्यप गोत्रीय पं० रत्नाकर यह घृत्त कौमुदी ग्रंथ राजवशावतंस श्री त्रिपाठी के पुत्र थे। हिन्दी संसार के पठित समाज को यह भली

  • वृत्त कौमुदी Search Report 1920-22. * शिवराज भूपण छंद २६-२६ ।