पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१९१

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[ १५० ] विवेक-चेतावनी-सुंदरदास कृत, वि०मान घर्णन। अनुभव पर प्रदर्शिनी टीका दे० (ध-२२) दे०(ज-३११ डी) उत्तम पाय्य प्रकाश दे० (ध-५३ ) विवेक-दीपिका-अनन्य (अक्षर अनन्य ) कृत, वि० भान वर्णन । दे० (ज-बी) शाति शतक दे० (घ-५४) (ज-३२६ श्राई) विवेक-पंचामृत-मथुरानाथ शुक्ल कृत, नि० का० रामायगा दे० (घ-११५) (ज-३२६ एफ) सं० १८५२; वि० पाँच सूत्रों का भाषानुवाद । मनन दे० (घ-१७३) दे० (ज-१६५. एफ़) शानद रघुनंदन नाटक दे० (उ-३८) विवेक-विलास-चंद्रशेखर कृत, नि० का० सं० (छ-२४४ बी) १८६७, वि० पटियाला नरेश पाल्दासिंह की वेदांत पचक सटीक दे० (ड-४) वंशावली । दे० (घ-१०२) गीतावली पूर्वाद दे० (उ-११४) उत्तम माप्ति चद्रिका या धुवाष्टक नीति दे० विवेक-विलास-रामरसिक कृत, लि० का० सं० (छ-२४४५) १४२७, वि० श्राचारिक और आध्यात्मिक पासंद यदिनी दे० (छ-२५६ सी) वर्णन । दे०(छ-२१५) धुवाटक दे० (छ-२४४ डी) विश्वनाथ नवरत्र-दीनदयाल गिरि कृत, वि० भादि मंगल दे० (ज-३२६८) शिवजी की स्तुति और प्रार्थना । दे० (ड-४४) वसत दे० (ज-३२६ धी) विश्वनायसिंह (राजा)-रीवॉ नरेश; प्रिया- चौतीसी दे० (ज-३२६ सी) दास के शिष्य; राज्य का० सं० १८७०-१६११; चौरासो रमैनी दे० (ज-३२६ री) रघुराजसिंह के पिता; इन्होंने बहुत से अंधों फफहरा दे० (ज-३२६) को रचना की, बख्शी समनसिंह अजवेश के शम दे० (ज-३२६ जी) आश्रयदाता थे। दे० (क-४२) (ख-१५) साची दे० (ज-३२६ एच) (ख-१६) विश्व मोतन प्रकाश दे० (ज-३२६ जे) अष्टयाम का आन्हिक दे० (क-४३) गीत रधुनदन प्रमानिका टीका सहित दे० विश्वभोजन प्रकाश-राजा विश्वनाथसिंह कृत; (क-४४)(घ-१७२) वि० भोजन बनाने की विधि । दे० (ज-३२६ जे) धनुर्विया दे० (क-४७) (ख-२०) विश्वसेन-बढ़िया (नवापुर ) ज़िला सारन परमतत्व प्रकाश दे० (क-४८) (विहार) के ज़मीनदार और कवि हरि- भानद रामायण दे० (ख-६) चरण दास के आश्रयदाता; सं० १८३५ के परमधर्म निर्णय प्रथम सद दे०(स-१६) लगभग वर्तमान थे। दे० (ङ-५८) परमपम निर्णय द्वितीय खंद दे० (स-१७) विष नाशन-संतोष चैध कृत; विप-निवारक परम भर्म निर्णय चतुर्थ खंड दे० (ख-१८) ओषधियों का वर्णन | दे०(छ-३२४)