पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१९२

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विदापकार मारा-किसी ग भाचार्य प्रता की महिमा है पर और गीत २० निकास.१७५विजेन प्रय विपापहार (4-१५) स्तोत्र का गायनुवाद।०(0-101) विष्णुपद .. कति निका विष्ण गिरि-गोसाई मावि गिरि शिष्य, 12, दि० मापन गवर्णन। २. (6-102) सं०१० तगमग वर्तमान में पेश ग्राम विष्णुपद--अनुजन मिल का स० १७२, केसाठाये। M. रम चीक्षा के परदे० (रुरी) माए nि०(ग-104) विष्णुपद- सयुम वा झिका० स० १२, सिप्प-रामच के पुत्र, सं० १५ लग पिसारण की नीलाके पर। २०(८-६७१) भा पर्वमान मालपुर (सिकारा) यपुर विष्णुपद-गला (स्त्री) दि ईश्वर प्रार्थना गोपालसिंह के भाचित, मागय FR के के म इमों का संग्रह०(८-१३) मपरिकवि के पराजपे। विष्णुपद-सर्थजीत हवा विमकियुतरपणा परामरीतिरिका(-50) दे० (५) विष्णुदध-सिरे महारान ग्राह्मण, रिमा विष्णुपद भार फीर्चन-शा पृषीसिंह (एस बा(मिर्जापुर) निवासी थे। मिधि) पिकमलमटिभीर मापनाके इमार(-३२) भवन। दे०(५-६५५) विष्णुदास-इनके विषय में इस मी हात नहीं विष्णु पुराण भाषा-मिवारीशस (पास) संरके मयमग पवमान थे। कृत; यि विष्णुपुराण का भागनुवार । दे० कारची दे० (-१२७) विष्णुसिंह-प्रमथा (पुकारत ) मरेशा सं० विष्णुदास-आयि के डायस्प पमा (परेशन) १७क लगभग पमान गगाप्रसाद निवासी धीठासी के भारम में बसे । नियामाप्रयवाना ये1०(-३४) मान। पितार-चंद्रिका-महाराज सापसिंह (माग रासी माय ऐ०(4-११७) रीवासाला निकास वि० रामा पिपणुदास--0 के लगभग पर्तमामा) रणका विहारस्वर्णन। (य-१३) गोपाचा गर वासियर) नाश पजा सेंगर धीरसिंह देव (परिभ)- "यौरमादेव"० 17 सिहभाभित थे। (एमए) महाभारत बया०(छ-२३८५) वंद कपि-8013१६क लगमग पतमाम मेहता इस ऐ.1-२४८ वी) (मापपुर) निवासी राग मरेश महाराज विष्णुपद-~राजा पुग्यासिद (समिति) छत; सापसिंद (नागरीरामगिता महापर लि. + स० वि० राधा-कृष्ण राजसिदएणसं१७६१ मे ग्राद