पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२००

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केगमा वर्तमामा हरितामिकमाए नि.का. १०१ दिनीति के मोहे। दे० दाता ।२० (ब-१) (VR) हा भातमय औरगजेमदिसी के पारण शिखनस्ल सपका, कि रामासी के मुहमाद मानम के पिता एप सक की शोमायसन014-3) 14-१७६५० (१-२८) शिलनास-सुणाव मिम कसा विनायिका के शाइमों-जागीर बादशाह भ पुत्र, विसी का मग मस्या का वर्णन । दे० (-३७ सी) पाया गप्प काय स. १९८५-१३१५: इममे शिवनस्ल मर्पण-गोल कवि ta to ke अपने शाामा रहने के समय वितौर पर Ofro० सं०१४५६वि० बलमा बाई और test मैं मेपार केपणा प्रत मजाशिव पर री(-४०) अमरसिाकोराया तथा यहाँ * महाराज खिनस रसखीन--प्रम्प बाम मा व कुमार बिहार के काम में से गुलाम नबी (खरेल) का मिला. भाया, सुपरपि का मामयदातर था। Re1 वि• सपा के सौदय का पर्यन। बार जू पदिक्ष-भोला (दलर) निवासी शिमणि भि-हाति के माथुर माझमाडिरी जाति के प्रासादीवान सिंह (घरब) निराठी 800 मामा पर्व सहमसिह के सरवन स के अगमग वमानचेष भी थे। (ऊपर बार मानाबादशाह शाहजहाँ के समकालीन सके पितामह परमामद (सवावधानी) पारणार सिंहबहरोली के आवारा) घबर के और पिता मोहनबहाहीर सम्माधिका (च-134) कामित। दुखणी (0) tी दे० (-२४) गानामा (पिथक)-empe, परमिमथे। शिर काप-गमग पर्तमान याति- पिरामा पुष्ठिर समय पावणादशाह यर मरेश महाराजाविसपा रिया के माइम हक सम्राटी की शायसी का माभित थे। पणन । (-१) पाविस (-3) भार-थे मिथ पसमगीर साली समय में शिवगीता भापार्य-Se Bas Movie 17 हुए जान पाते हैं। मॉने पम प्रथ में १. १८९५ वि.संवि०शिर मालमगीर साभीक उत्तर पनीर बाप मारे औकी महिमा का पर्यनार-31) जान मन किया है। पाकवि स गिरदयात-वि के सभी प्रपारा निवासी वर्तमान थे। मारायवदासपुषा सं० १८६३ के लाभप = शिफामद दोहों का संग्न-सम्मम अधिक पतमाह।