पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२०६

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5 संतविलास-शिषमायपण रत, दि० साम-माम टिका, साहयतीम साधु का मिक वन। (-२४४ी) २६० पि. पुराणादि मारा प्रयशारों का सेव शव-रामा विश्वनासंदविका मा०(८-३०) स० ११०३, वि०बान, वैराग्य और भक्ति का संदा सागर-घरवास कता शि. का.. वर्मन दे० (-३२४ ) १६ यि पात भात पिपपक शकामा का संवसई-जयसिंह राप रापान , निय० सं० समाधान।०ब) १८१२० फा०स०१४२५पि० सव महा समझाय निर्णय भौर मार्पना शतक---कपा माओं के माम्प का वर्णन। दे० (-1) मियास वि० वैष्णयों के सपी-समाज सेवसिंह-सूरतसिंह नानी के पुत्र संसार के और राम नाम की महिमा का पना दे लगभग वर्तमान, पकान निवासी सिक्य (-२७४५) महावी। संपोधि पचाशिका भापा-बिहारीदास रुता मात्रप्रकाशिनी का ० (-२८२९) निका १०१ वि० मेग प्रप सबोषि पमाशिका का माषानुपाय । २० (क-114) मिम तप संपादिना (१)१० (-२८२वी) | समर पुद-मीरुप्प भE ) पि० खमपुर-मण विपनाम(जन्म२सी) सपाई जमिह तथा रिमी के पावशा सेना राण संपादिनी दे० (ज-२२0) पति सैयद इसेम असी भौर सैपब मामा से हिमक्ष रेशम्प संपारिमा (२) (ज-२२६) समर में प युटका वर्णन । २० (ज-३०१) निमय साप संपानि (RTEx-२०२ पफ समन-स० १८६७ मगमग पर्तमामा मारि के पाद प्रथामा दे(ब-२८२ श्री) माभण मसाया (हरवो) निवासी थे। संत मन्दर-शिवनारपण व निo का० स० (च-२२) रवि० सा माहात्म्य का वणन। देश सभादव भी खौ-सवय नवाप) राम्य का० (2-22५५) स० १८५५-१ मा मावत पीसी संत सामिासी-गादास का बिल भी का सुवामा पा । ३० (अ-E) पर्यन । दे०(क-५२८) सगारष शीला--मब पति (केशरीसिंह) का सेतोप वैव-नके विषय में इस मी बात महीं। नि० का० स० २६२ वि राधाकम्य की विमान दे०(५-३२४) सगाई का पीना दे०(ब)(-२५३) संयोपसिंह-सिय मतावलंबी, पटियाला सपनाक्ली-गोस्वामी तुलसीदास , मि० निवासी, 10 लगमा पर्वमान । का पु | वि० एकुन तथा भशकुन पापमोरि गमापय पापा २०(4-121) बानमे की रीति का बसेन । २०-३२३ पत्र) - संदरबोर- -प्रय नाम द्विधर्म दूपक मुब चप समन पहोरा-पशी कषि स्वामि०